Bihar Crime: साइबर क्राइम का अंडरग्राउंड एक्सचेंज बेनकाब, 264 फर्जी सिम और इंटरनेशनल कॉल रैकेट पर सीबीआई की धावा-बंदी तेज, रेजाउल हक के संगठित गिरोह से उठने लगा पर्दा
Bihar Crime:इंटरनेशनल VOIP कॉल को लोकल वॉइस कॉल में बदलकर ठगी, जासूसी और गैर-कानूनी सन्देश भेजने वाला सिम बॉक्स माफिया अब सीधे सीबीआई के निशाने पर है।
Bihar Crime:बिहार में साइबर क्राइम की दुनिया का ऐसा खेल उजागर हुआ है जिसने सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी है। इंटरनेशनल VOIP कॉल को लोकल वॉइस कॉल में बदलकर ठगी, जासूसी और गैर-कानूनी सन्देश भेजने वाला सिम बॉक्स माफिया अब सीधे सीबीआई के निशाने पर है। मामला इतना संगीन है कि बिहार सरकार को विशेष अधिसूचना जारी कर सीबीआई जांच की अनुमति देनी पड़ी।
29 जुलाई को आर्थिक अपराध इकाई ने भोजपुर के नारायणपुर के भलुनी गांव में छापा मारकर मुकेश सिंह नामक शातिर के ठिकाने से 264 फर्जी सिम, सिम बॉक्स, तकनीकी उपकरण और साइबर ठगी का पूरा काला नेटवर्क बरामद किया था। यह कोई मामूली सेटअप नहीं बल्कि साइबर अपराधियों का हाई टेक अड्डा था, जहां से अंतरराष्ट्रीय कॉल को भारत में लोकल कॉल की तरह रूट कर अरबों का नुकसान पहुंचाया जा रहा था।
जांच में खुलासा हुआ कि ये सारे सिम पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के दो सेल प्वाइंट महाराज नगर निवासी रेजाउल हक और राजनगर के मुकतदिर हुसैन से फर्जी नाम-पते पर एक्टिवेट किए गए थे। यह साफ संकेत है कि पूरा खेल एक संगठित गिरोह चला रहा था, जिसकी जड़ें बिहार से लेकर बंगाल तक फैली हैं।
यह सिर्फ ठगी नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर सीधा वार है। तेलंगाना पुलिस के काउंटर इंटेलिजेंस सेल ने पहले ही चेतावनी दी थी कि भोजपुर का यह नेटवर्क विदेशी आतंकी और राष्ट्र-विरोधी संगठनों से जुड़ा है, जो VOIP रूटिंग के जरिए अपने कैडर, स्लीपर सेल और सहयोगियों से संपर्क में बने रहते हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात यह कि 5 से 7 जुलाई के बीच इस सिम बॉक्स से 20,000 से अधिक कॉल देशभर में किए गए। कुल 67 सिम एक्टिव थे, जो लगातार "अंडरग्राउंड एक्सचेंज" की तरह चल रहे थे।
अब सीबीआई की पूरी टीम इन 264 सिम धारकों की तलाश में जुटी है। डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट और टेक्निकल सर्विलांस यूनिट पूरे नेटवर्क की कड़ियों को जोड़ रही हैं। एजेंसियों का साफ कहना है कि ये सिर्फ फ्रॉड नहीं, यह साइबर अंडरवर्ल्ड का ऑपरेशन है… जिसे जड़ से उखाड़ना जरूरी है।