Ex Ministor Brijbihari murder case: सुप्रीम कोर्ट ने राबड़ी देवी सरकार में मंत्री रहे बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में बाहुबली पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को दोषी ठहराया है. जबकि पूर्व सांसद सूरज भान सिंह समेत 6 आरोपियों को बरी कर दिया. दोनों दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. पटना हाई कोर्ट ने बृजबिहारी हत्याकांड के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने यह फैसला सुनाया है.
सुरक्षा में 22 कमांडो तैनात थे, फिर भी एक-47 से छलनी कर दिया था
पटना में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, 13 जून 1998 की शाम 5 बज रहे थे. उसी समय एक लाल बत्ती लगी एंबेसडर कार और बुलेट पर सवार होकर पांच लोग अस्पताल पहुंचे. यह सभी अस्पताल के बाहर गाड़ी खड़ी किए और सीधे अंदर घुस गया. बताया जाता है कि इनमें सबसे आगे श्रीप्रकाश शुक्ला था. उसके पीछे सुधीर त्रिपाठी और अनुज प्रताप सिंह था. इन तीनों के अलावा मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी भी आईजाईएमएस गेट पर थे. तब बिहार में राबड़ी देवी की सरकार थी. इस सरकार में राजद सुप्रीमो लालू यादव के खासमखास मंत्री बृजबिहारी प्रसाद इसी अस्पताल में भर्ती थे. उस समय बृजबिहारी प्रसाद को जान का गंभीर खतरा था. गैंगस्टर छोटन शुक्ला, भुटकुन शुक्ला और देवेन्द्र दूबे की हत्या में वे नामजद थे. गैंगवार में इनकी हत्या कभी भी हो सकती थी. लिहाजा बृजबिहारी की सुरक्षा में 22 कमांडो तैनात किए गए थे. साथ दूसरी पुलिस फोर्स भी तैनात थी. इसके बाद भी सुरक्षा के पुख्ता घेरे को तोड़ते हुए पूर्वांचल के डॉन रहे श्री प्रकाश शुक्ला ने एके- 47 से गोलियां बरसाकर राबड़ी मंत्रिमंडल में मंत्री रहे बृज बिहारी प्रसाद को भून डाला था. मंत्री के शरीर को गोलियों से छलनी कर दिया गया था. अधिकांश कमांडो भाग खड़े हुए थे. जो साथ थे उन्हें भी गोलियां लगी थी.
Shriprakash Shukla ने पत्रकारों को खुद दी थी जानकारी
बताया जाता है कि इस वारदात को अंजाम देने के लिए दो दिन पहले(11 जून) को श्रीप्रकाश शुक्ला पहले गोरखपुर से दिल्ली गया फिर पटना पहुंचा था. 11 जून की दोपहर में ही शुक्ला आज अखबार के ऑफिस पहुंचा और ऐलान किया था कि पटना में कुछ बड़ा करने वाले हैं. तब उसने यह भी कहा था कि अखबार में छाप दो. 13 जून की शाम पांच बजे वारदात को अंजाम देने के बाद भी उसने सबसे पहले आज अखबार के ऑफिस में ही फोन किया और कहा कि ‘मै अशोक सिंह बोल रहा हूं और बृजबिहारी को इतनी गोलियां मारी है कि पूरा शरीर छेद ही छेद हो गया है’. बताया जाता है कि घटना को अंजाम देने के बाद डॉन श्री प्रकाश शुक्ला एक विधायक के आवास पर पहुंचा और 203 घंटे तक रूका. हथियार डीलर से भी मुलाकात की. बताया जाता है कि बृजबिहारी प्रसाद पर गोलियां बरसाने के बाद श्रीप्रकाश शुक्ला के AK47 की मैगजीन में कारतूस खत्म हो गए थे. इसलिए यहीं पर एक हथियार डीलर से अपनी AK-47 की मैगजीन में गोली भरवाई. करीब 3 से 4 घंटे बाद वह पटना से निकल गए थे.
लाल बत्ती लगी कार से पहुंचा था खुंखार माफिया डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला
बता दें, 1998 में बृज बिहारी प्रसाद राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री थे .मुजफ्फरपुर के भुटकुन शुक्ला की हत्या हुई थी. इसके बाद इन पर खतरा और भी बढ़ गया था. इसी बीच 1998 में एडमिशन घोटाले में बृज बिहारी प्रसाद गिरफ्तार हो गए. बृज बिहारी प्रसाद अपनी गिरफ्तारी के बाद सीने में दर्द होने की बात कह कर खुद को पटना के आईजीआईएमएस में भर्ती करा लिया. पुलिस की भारी सुरक्षा के बीच बृज बिहारी अस्पताल में भर्ती रहे. लालू प्रसाद के करीबी होने की वजह से बृज बिहारी का रुतबा भी जबरदस्त था. उनको खुद भी खतरे का अंदेशा था. 13 जून 1998 को पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सुरक्षा के भारी इंतजाम के बीच टहल रहे थे. अगल-बगल में हथियारबंद पुलिसकर्मियों का भारी पहरा था. इसी बीच एक लाल बत्ती लगी कार में यूपी का डॉन श्री प्रकाश शुक्ला अपने तीन साथियों के साथ घुसा. इसके बाद बृज बिहारी प्रसाद पर एक.के- 47 से गोलियों से बरसात कर फरार हो गया. एक-47 की तड़तड़ाहट से आईजीआईएमएस में हड़कंप मच गया था. मंत्री की हत्या से न सिर्फ बिहार बल्कि देश में चर्चा का विषय बन गया था. हालांकि कुछ समय बाद गाजियाबाद में उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स ने शुक्ला को एक एनकाउंटर में मार गिराया था. मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या के बाद मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी वहां पहुंची थी. बता दें, बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी बाद में राबड़ी मंत्रिमंडल में मंत्री बनीं. भाजपा के टिकट पर शिवर से 2009 से 2024 तक सांसद रहीं.
देवेन्द्र दूबे की भी हुई थी हत्या..आरोप बृजबिहारी पर लगा था
बृज बिहारी प्रसाद का एक और बाहुबली से दुश्मनी बढ़ गई थी. देवेंद्र दुबे और बृजबिहारी एक-दूसरे के खून के प्यासे बन गए थे. देवेन्द्र दुबे गोविंदगंज से विस चुनाव जीतने के बाद जेल से बाहर आए. 25 फरवरी 1998 को अरेराज लौटने के दौरान देवेंद्र दुबे को घेर कर एक-47 से छलनी कर दिया गया था. उनकी हत्या का पूरा आरोप बृज बिहारी प्रसाद पर लगा था. उस समय बृज बिहारी प्रसाद ऊर्जा मंत्री थे. देवेंद्र दुबे की हत्या के बाद उनका भतीजा मंटू तिवारी जो अंडरवर्ल्ड में अपनी एक अलग पहचान बन चुका था. उसने ऐलान कर दिया कि जब तक वह देवेंद्र दुबे की हत्या का बदला नहीं ले लेगा तब तक शादी नहीं करेगा.