Bihar Crime: भाजपा विधायक के PA की हमले की कहानी निकली झूठी, अब अस्पताल से सीधे जाना पड़ेगा जेल, जानें क्या था पूरा खेल

Bihar Crime: बीजेपी नेता और विधायक के पीए, कथित गोलीकांड का सच पुलिस जांच में पूरी तरह उलट गया है।

Muzaffarpur BJP MLA s PA faked attack story
भाजपा विधायक के PA की हमले की कहानी निकली झूठी- फोटो : social Media

Bihar Crime: भाजपा विधायक के पीए पर कथित गोलीकांड का सच पुलिस जांच में पूरी तरह उलट गया है। बीजेपी नेता और कुढ़नी विधायक केदार प्रसाद गुप्ता के पीए, पूर्व मंडल अध्यक्ष विनोद दास को लगी गोली किसी बदमाश की सुपारी या ओवरटेक कर किए गए हमले का नतीजा नहीं निकली बल्कि यह शादी समारोह में हुई हर्ष फायरिंग का सीधा-सीधा परिणाम थी।मुजफ्फरपुर के मनियारी थाना क्षेत्र के अमरख गाँव में गुरुवार देर रात गोली चली थी।

घटना के तुरंत बाद विनोद दास ने पुलिस को बयान दिया था कि दो बाइक सवार बदमाशों ने ओवरटेक कर उन पर जानलेवा हमला बोला। लेकिन जब पुलिस ने घटनास्थल की बारीकी से मैपिंग, फोरेंसिक संकेत, और बयानों के मिलान शुरू किए, तो पूरा दावा झूठ की धुँधली परत साबित हुआ। एसएसपी सुशील कुमार ने साफ कहा कि प्रारंभिक बयान और मौके के तथ्य एक-दूसरे से बिल्कुल मेल नहीं खाते।बयान में कई विरोधाभास मिले, जिससे शक और गहरा हुआ।

गहन पूछताछ और दबाव में सच्चाई सामने आई। पुलिस ने शादी समारोह में मौजूद तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। मौके से एक पिस्टल और दो जिंदा कारतूस भी बरामद हुए हैं। यानी मामला साफ है हर्ष फायरिंग के दौरान चला एक लापरवाह गोली का शॉट सीधा विनोद दास को जा लगा।

पर सबसे बड़ा सवाल है कि फिर झूठा बदमाशों का हमला क्यों गढ़ा गया? पुलिस के अनुसार, विनोद दास ने न सिर्फ झूठा बयान देकर जांच को गुमराह किया, बल्कि इलाके में अनावश्यक दहशत भी फैलाई। इसके लिए उनके खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई तय है। अभी वे अस्पताल में भर्ती हैं, लेकिन ठीक होते ही उनकी गिरफ्तारी भी तय मानी जा रही है।

विनोद दास पहले अमरक पंचायत से मुखिया चुनाव लड़ चुके हैं (2021), लेकिन हार गए थे। भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष और फिलहाल विधायक केदार गुप्ता के पीए के तौर पर सक्रिय हैं। इसलिए इस पूरे प्रकरण ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है।

अब पुलिस यह जांच रही है कि हर्ष फायरिंग के लिए बिना लाइसेंस का हथियार समारोह में कैसे पहुँचा और गोली किसने किसके इशारे पर चलाया? बहरहाल मुजफ्फरपुर के इस केस में एक बात साफ हो गई कि कहानी फर्जी थी, गोली असली। और लापरवाही का जश्न अब कानूनी मुसीबत बनकर लौट रहा है।