Love Affair: प्रेम के चक्कर में घर छोड़ा, अब प्रेमी ने भी छोड़ दिया साथ, प्यार निकला 'डिलीट' वाला

Love Affair:एक किशोरी अपने डिजिटल प्रेम के वशीभूत होकर घर-परिवार, रीति-नीति सबकुछ त्याग कर प्रेमी से मिलने निकल पड़ी।...

reality of virtual love
वर्चुअल प्रेम की हकीकत- फोटो : Meta

Love Affair:सोशल मीडिया की चमचमाती दुनिया में नित नए रिश्ते बनते और बिगड़ते रहते हैं। कभी यह मंच दो अजनबियों को स्नेह-सूत्र में बांध देता है, तो कभी यही आभासी प्रेम यथार्थ की कठोर ज़मीन पर आकर बिखर जाता है। ऐसा ही एक घटना सामने आया है बिहार के मुजफ्फरपुर से, जहाँ धनबाद की एक किशोरी अपने डिजिटल प्रेम के वशीभूत होकर घर-परिवार, रीति-नीति सबकुछ त्याग कर प्रेमी से मिलने निकल पड़ी।

कहानी की शुरुआत होती है सोशल मीडिया की एक साधारण पहचान से, जो समय के साथ आत्मीयता में बदलती गई। वर्चुअल मुलाक़ातें अब मन में वास्तविक मिलन की लालसा जगाने लगीं। इस मोहपाश ने इतनी प्रबलता धारण की कि युवती ने घर की चौखट लांघ दी और बिना किसी को सूचित किए प्रेमी से मिलने मुजफ्फरपुर पहुँच गई। यह निर्णय न केवल परिवार के लिए चौंकाने वाला था, बल्कि कानून-व्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय बन गया।

जैसे ही युवती के अचानक लापता होने की सूचना धनबाद पुलिस तक पहुँची, परिजनों ने तत्परता से मामला दर्ज कराया। मोबाइल लोकेशन के सहारे जब यह जानकारी मिली कि युवती मुजफ्फरपुर में है, तो काजीमोहम्मदपुर थाना को सूचित किया गया। सोमवार की रात्रि, चांदनी के साये में जब शहर नींद में डूबा था, पुलिस ने सादपुरा इलाके में दबिश देकर युवती को बरामद कर लिया।

थाने में बैठी युवती की आँखों में एक ओर सपनों की परछाइयाँ थीं, तो दूसरी ओर समाज की हकीकतें। पुलिस ने उसे सधे हुए शब्दों में समझाया, पूछताछ की और फिर परिजनों को सूचना दी। मंगलवार को परिजन जब थाने पहुँचे, तो दृश्य भावनाओं के आवेग से भर गया।

उधर, जिस प्रेमी के लिए युवती ने अपनों से दूरी बनाई, वह अब खुद को इस पूरी स्थिति से बचाने को भाग खड़ा हुआ। पुलिस उसकी तलाश में संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।यह घटना एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा करती है—क्या वर्चुअल प्रेम की उड़ान, यथार्थ की ज़मीन पर टिक सकती है? क्या मोहब्बत महज़ स्क्रीन की सीमाओं तक सजीव है, या असल दुनिया में भी उसका वजूद है?इस प्रेम-कथा ने न केवल एक परिवार को झकझोर दिया, बल्कि समाज को सोचने पर भी मजबूर कर दिया कि टेक्नोलॉजी के इस युग में रिश्तों की परिभाषा कितनी बदली है—और क्या यह बदलाव वास्तव में प्रगति है या भ्रम?

रिपोर्ट- मणिभूषण शर्मा