Patna Crime: पटना से ऑपरेशन 'फर्ज़ी मोहर', मिलिट्री इंटेलिजेंस की रेड में बड़ा खुलासा, देश की सुरक्षा को भारी चूना लगाने की साज़िश बेनकाब

Patna Crime:पटना के दानापुर में खुफिया सूचना पर मिलिट्री इंटेलिजेंस (लखनऊ यूनिट) और दानापुर पुलिस की साझा रेड हुई।...

Patna Military Intelligence raid
मिलिट्री इंटेलिजेंस की रेड- फोटो : social Media

Patna: अपराध की दुनिया में एक नया चेहरा सामने आया है ,एक ऐसा गिरोह जो रबर स्टांप के ज़रिए फर्ज़ीवाड़े का पूरा उद्योग चला रहा था। मामला मामूली नहीं, बल्कि सीधा देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। सेना, अर्धसैनिक बलों और सरकारी विभागों की नकली मोहरें बना-बना कर ये गिरोह न सिर्फ सिस्टम को छल रहा था, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ खुला खिलवाड़ कर रहा था।

ऑपरेशन - मिलिट्री इंटेलिजेंस

राजधानी पटना के दानापुर में सोमवार को खुफिया सूचना पर मिलिट्री इंटेलिजेंस (लखनऊ यूनिट) और दानापुर पुलिस की साझा रेड हुई। एमके मार्केट में स्थित एक दुकान से जो सामान बरामद हुआ, उसने पुलिस महकमे के भी होश उड़ा दिए।यहां से सेना, अर्धसैनिक बल, बैंक, स्कूल और कई सरकारी/गैर-सरकारी संस्थाओं की 100 से अधिक नकली रबर स्टांप बरामद की गईं। इस धंधे की डोर चित्रकूट नगर निवासी रविंद्र जीत वडेरा तक पहुंची, जिसे मौके से गिरफ्तार कर लिया गया।

 6 महीने से रडार पर था ‘मोहर माफिया’

दानापुर थानाध्यक्ष पीके भारद्वाज के मुताबिक आरोपी रविंद्र पिछले 6 महीनों से मिलिट्री इंटेलिजेंस के रडार पर था। बिना किसी लाइसेंस अथॉरिटी के सेना और विभिन्न संस्थाओं की मोहरें तैयार कर रहा था। यही नहीं, इन मोहरों का इस्तेमाल फर्जी दस्तावेजों में, यहां तक कि फर्जी भर्ती घोटालों में भी किया जा सकता था।

20 से ज्यादा सेना से संबंधित स्टांप मिलना अपने आप में एक अलार्म है — यानी एक छिपा हुआ हथियार, जो देश विरोधी ताकतों के हाथ में पहुंच सकता था।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश विरोधी गतिविधियों की कड़ी?

पुलिस सूत्रों की मानें तो यह रैकेट 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे हाई-प्रोफाइल मिशनों के बाद देशविरोधी तत्वों द्वारा मोहरों के इस्तेमाल की संभावना से भी जुड़ सकता है। यानी यह सिर्फ एक कारोबारी जाल नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश का हिस्सा हो सकता है।

बिना लाइसेंस – कानून को ठेंगा, सिस्टम को चूना

सरकारी नियमों के अनुसार, रबर स्टांप बनाने के लिए राज्य सरकार की अनुमति और वैध लाइसेंस अनिवार्य है। लेकिन रविंद्र बिना किसी प्रमिशन लेटर के मोहरें बनाता था — किसी को भी, किसी भी नाम की — मानो न्याय, सुरक्षा और पहचान की मुहरें अब बाज़ार में बिकती हों।

"पूछताछ में और भी बड़े नामों के खुलासे की उम्मीद" — पुलिस अधिकारी

पुलिस अब रविंद्र से कड़ी पूछताछ कर रही है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि स्टांप ऑर्डर पर तैयार कर किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को बेची जाती थीं। इस केस में फर्जी दस्तावेज निर्माण, फर्जी नियुक्ति पत्र, बैंक धोखाधड़ी और जालसाजी के अनेक कनेक्शन तलाशे जा रहे हैं।