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National New: दारोगा ने आधी रात को भेज दी शिकायतकर्ता महिला को फेसबुक फ्रेंड रिक्वेस्ट, हाईकोर्ट ने ऐसी लगाई लताड़ की याद आ गई...

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पुलिस अधिकारियों का व्यवहार न केवल पेशेवर होना चाहिए बल्कि उन्हें सोशल मीडिया का उपयोग करते समय भी सावधानी बरतनी चाहिए। कुछ अधिकारियों को अपने कर्तव्यों और सीमाओं का ज्ञान नहीं है।

Bombay High Court
Inspector sent a Facebook friend request to complainant woman - फोटो : Social Media

National New: एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर ने एक महिला शिकायतकर्ता को मध्यरात्रि में फेसबुक पर मित्रता अनुरोध भेजा। इस घटना पर गहरी असंतोष व्यक्त करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस को इस मामले की जांच करने और उचित कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोकले की खंडपीठ ने पुलिस सब-इंस्पेक्टर के इस व्यवहार पर कड़ी आपत्ति जताते हुए पूछा, "आप जिस मामले की जांच कर रहे हैं, उसकी शिकायतकर्ता को मित्रता अनुरोध कैसे भेज सकते हैं?"

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक पुलिस सब-इंस्पेक्टर  के खिलाफ गहरी नाराजगी व्यक्त की है, जिसने एक महिला शिकायतकर्ता को फेसबुक पर आधी रात को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी। यह मामला तब सामने आया जब महिला ने कांदिवली के समता नगर पुलिस स्टेशन में चोरी की शिकायत दर्ज कराई थी। अदालत ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस को निर्देश दिया कि वे इस मामले की जांच करें और उचित कार्रवाई करें।

महिला की शिकायत का संदर्भ

महिला ने आरोप लगाया कि अगस्त 2024 में उसके पति द्वारा उसके सामान को जबरन हटवाने के बाद उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें लगभग 15 लाख रुपये के गहने और नकद शामिल थे। महिला ने बार-बार पुलिस से एफआईआर दर्ज करने की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके कारण उसे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

पुलिस सब-इंस्पेक्टर का आचरण और कोर्ट की प्रतिक्रिया

जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस नीला गोखले ने पुलिस सब-इंस्पेक्टर से पूछा कि वह कैसे एक ऐसे व्यक्ति को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज सकता है जिसकी वह जांच कर रहा है। पुलिस सब-इंस्पेक्टर ने इसे “गलती से” भेजा गया बताया, लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार नहीं किया। अदालत ने कहा कि ऐसा आचरण किसी भी पुलिस अधिकारी के लिए बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

अगली सुनवाई और कार्रवाई की संभावना

कोर्ट ने डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस  को निर्देश दिया कि अगली सुनवाई में वर्चुअल रूप से उपस्थित होकर पुलिस सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ प्रस्तावित कार्रवाई की जानकारी दें। मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी 2025 को होगी, जहां यह देखा जाएगा कि  डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।

इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पुलिस अधिकारियों का व्यवहार न केवल पेशेवर होना चाहिए बल्कि उन्हें सोशल मीडिया का उपयोग करते समय भी सावधानी बरतनी चाहिए। पुलिस सब-इंस्पेक्टर द्वारा किए गए इस कृत्य से न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल उठता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि कुछ अधिकारियों को अपने कर्तव्यों और सीमाओं का ज्ञान नहीं है।


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