Teacher News: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने महिला प्रोफेसरों के लिए बड़ी राहत दी है। यूजीसी ने नए नियम के आनुसार अब महिला प्रोफेसरों को दो साल तक चाइल्ड केयर लीव देने का प्रावधान किया है। जानकारी अनुसार महिला प्रोफेसर अब अपने बच्चों की देखभाल के लिए दो साल तक चाइल्ड केयर लीव ले सकेंगी। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस सुविधा को यूजीसी रेगुलेशन 2025 में शामिल किया है। यदि कोई उच्च शिक्षण संस्थान इस नियम का पालन करने से इनकार करता है, तो उसे कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें संस्थान को डीबार करने तक की कार्रवाई शामिल है।
यूजीसी अध्यक्ष का बयान
यूजीसी के अध्यक्ष, प्रो. एम. जगदीश कुमार ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थान महिला प्रोफेसरों को चाइल्ड केयर लीव देने में आनाकानी नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि महिला प्रोफेसर लंबे समय से इस मुद्दे पर शिकायत कर रही थीं, क्योंकि यह उनके अधिकार क्षेत्र में आता है। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस प्रावधान को नए नियमों में शामिल किया गया है।
कड़े नियमों का प्रावधान
यूजीसी रेगुलेशन 2025 के तहत यदि कोई शिक्षण संस्थान नियमों का उल्लंघन करता है, तो आयोग सख्त कार्रवाई करेगा। इसमें निम्नलिखित शामिल हैं, संबंधित संस्थान के डिग्री प्रोग्राम में दाखिले पर रोक। शिक्षण संस्थान पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यूजीसी संबंधित कोर्स की मान्यता वापस ले सकता है। नियम ना मानने वाले संस्थान को डीबार किया जा सकता है।
महिला प्रोफेसरों को राहत
यह प्रावधान महिला प्रोफेसरों के लिए एक बड़ी राहत है, जो बच्चों की देखभाल और करियर के बीच संतुलन बनाने में संघर्ष करती थीं। अब यह उनका कानूनी अधिकार होगा, और उच्च शिक्षण संस्थानों को इसे लागू करना अनिवार्य होगा। यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि चाइल्ड केयर लीव देने में किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा। यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं को अधिक सुविधाजनक माहौल प्रदान करने की दिशा में एक अहम प्रयास है।