Gurjar Community Marriage: दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर जतन सिंह चौधरी ने अपने बेटे की शादी में दहेज प्रथा को पूरी तरह से नकारते हुए एक नई मिसाल कायम की है। उनका यह कदम न केवल गुर्जर समाज, बल्कि पूरे समाज को प्रेरित कर रहा है। वर पक्ष ने किसी भी प्रकार का दहेज या उपहार लेने से साफ इनकार कर दिया। विवाह में चिट्ठी, लगन और कन्यादान के प्रतीकात्मक तौर पर ₹1 ही स्वीकार किया।
भात की रस्म में बदलाव
पारंपरिक रस्म भात में, जो आमतौर पर भारी खर्च वाली होती है, केवल ₹101 लिए गए। यह कदम गुर्जर समाज में दहेज प्रथा की कुरीति को तोड़ने का प्रतीक बना। विवाह नोएडा में सादगीपूर्ण तरीके से आयोजित हुआ। इसका उद्देश्य प्रेम, सम्मान और पारिवारिक मूल्यों को प्राथमिकता देना था।
समाज में जागरूकता
इस विवाह ने यह संदेश दिया कि सामाजिक और पारिवारिक मूल्य दहेज या महंगे उपहारों से अधिक महत्वपूर्ण हैं।प्रधान जगत चौधरी के परिवार की इस पहल ने दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने का काम किया और गुर्जर समाज में परिवर्तन की शुरुआत की कोशिश की गई।
समाज की प्रशंसा
पूरे गुर्जर समाज ने प्रधान जगत चौधरी और उनके परिवार की इस पहल की प्रशंसा की। यह विवाह समाज को दिखाता है कि इच्छाशक्ति से कुरीतियों को बदला जा सकता है। इस शादी ने दहेज प्रथा को चुनौती देकर दहेजमुक्त समाज की ओर एक नई शुरुआत की है।
दहेज प्रथा के दुष्परिणाम
दहेज के कारण शादियों में लाखों-करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। दहेज न मिलने पर महिलाओं पर अत्याचार और हिंसा के कई मामले सामने आते हैं। कई बार दहेज हत्या जैसे गंभीर अपराध भी होते हैं।