Patna Liquor: पटना में ट्रक से 22 लाख की अंग्रेजी शराब जब्त, कुरकुरे-सोयाबीन के कार्टन में छिपाकर की जा रही थी तस्करी
Patna Liquor: पटना के अगमकुआं में ट्रक से 22 लाख की अंग्रेजी शराब बरामद की गई। जानें तस्करी की पूरी कहानी, ट्रक ड्राइवर की गिरफ्तारी और पुलिस जांच के बिंदु।

Patna Liquor: बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद तस्कर लगातार नए-नए तरीके अपना रहे हैं। हाल ही में पटना के अगमकुआं थाने के ट्रांसपोर्ट नगर स्थित बिजली कार्यालय के पास एक ट्रक से 22 लाख रुपये की अंग्रेजी शराब जब्त की गई।शराब की यह खेप बड़े ही शातिराना तरीके से कुरकुरे और सोयाबीन के कार्टन के नीचे छिपाकर रखी गई थी। लेकिन उत्पाद विभाग को समय रहते सूचना मिल गई और मौके पर छापेमारी कर ट्रक को जब्त कर लिया गया।
ट्रक चालक गिरफ्तार, फर्जी नंबर और मोबाइल से मिले सुराग
इस कार्रवाई के दौरान ट्रक चालक विनय शंकर पांडेय को भी गिरफ्तार कर लिया गया। वह भोजपुर जिले के बिहिया के नारायणपुर गांव का निवासी है। पुलिस ने उसके पास से एक मोबाइल फोन भी जब्त किया है, जिसकी मदद से कॉल रिकॉर्ड और लोकेशन हिस्ट्री की जांच की जा रही है। विशेष बात यह रही कि ट्रक का रजिस्ट्रेशन नंबर फर्जी पाया गया, जिससे तस्करी की योजना की गहराई का संकेत मिलता है।उत्पाद विभाग के सहायक आयुक्त प्रेम प्रकाश ने पुष्टि की कि इस मोबाइल के ज़रिए शराब माफिया नेटवर्क को ट्रेस करने की कोशिश की जा रही है।
पंजाब से दरभंगा तक: शराब तस्करी का रूट खुला
इस खेप के बारे में यह भी सामने आया कि शराब पंजाब में बनी हुई है। बोतलों पर “Only for Sale in Punjab” अंकित था। तस्करी की पूरी योजना इस प्रकार थी पंजाब से शराब को पहले धनबाद लाया गया।वहां से इसे ट्रक में भरकर पटना के ट्रांसपोर्ट नगर पहुंचाया गया।फिर इस खेप को दरभंगा में सप्लाई करने की योजना थी।शातिर तस्कर ट्रक में कुरकुरे और सोयाबीन के कार्टन ऊपर रखते थे, ताकि शराब की गंध और शक दोनों से बचा जा सके। लेकिन उत्पाद विभाग ने इस योजना को विफल कर दिया।
शराबबंदी के बावजूद तस्करी जारी: प्रशासन के लिए चुनौती
बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद से कई बार शराब तस्करी के हाई-प्रोफाइल मामले सामने आए हैं, लेकिन यह मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि इसमें ट्रक का फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर था।ड्राइवर के पास कोई वैध कागजात नहीं मिले। साजिश का दायरा अंतरराज्यीय है — पंजाब से लेकर बिहार तक।इससे साफ है कि शराबबंदी के बाद भी तस्करी का जाल न सिर्फ जीवित है बल्कि संगठित भी हो चुका है।