महंगा पड़ेगा पीना ! कोल्ड ड्रिंक्स से लेकर शराब तक के बढ़ेंगे दाम, हो गई सिफारिश, जानिए क्यों लिया जा रहा फैसला

अब पीना महंगा पड़ेगा। अगर आप कोल्ड ड्रिंक्स या शराब पीते हैं तो यह खबर आपके लिए है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया भर की सरकारों से तंबाकू, शराब और मीठे पेय पदार्थों पर कर बढ़ाने की सिफारिश की है।

शराब
पीना पड़ेगा महंगा - फोटो : social media

N4N Desk: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया भर की सरकारों से तंबाकू, शराब और मीठे पेय पदार्थों पर कर बढ़ाने की सिफारिश की है। जिससे अगले दशक में इन उत्पादों की कीमतों में 50% तक की वृद्धि हो सके। यह सिफारिश स्पेन के सेविले में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के फाइनेंस फॉर डेवलपमेंट सम्मेलन में पेश की गई। इसका उद्देश्य केवल गंभीर बीमारियों को नियंत्रित करना ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली के लिए अतिरिक्त आर्थिक संसाधन जुटाना भी है।

इन बीमारियों की होगी कमी 

WHO के अनुसार, इस रणनीति से मधुमेह, मोटापा, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों के मामलों में कमी लाने में मदद मिलेगी। यह पहल WHO की “3 by 35” रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत 2035 तक दुनिया भर में स्वास्थ्य करों के माध्यम से एक ट्रिलियन डॉलर की राशि जुटाने का लक्ष्य रखा गया है।

स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त बनाने की जरुरत 

WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा कि, अब समय आ गया है कि सरकारें इस वास्तविकता को स्वीकार करें और अपनी स्वास्थ्य प्रणाली को सशक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएं। वहीं, WHO के सहायक महानिदेशक डॉ. जेरेमी फैरर ने इन करों को स्वास्थ्य सुधार के सबसे प्रभावी उपकरणों में से एक बताया।

इन देशों का दिया उदाहरण 

WHO के वरिष्ठ स्वास्थ्य अर्थशास्त्री गुइलेर्मो सांडोवाल ने उदाहरण देते हुए बताया कि यदि किसी उत्पाद की मौजूदा कीमत किसी मध्य-आय वाले देश में 4 डॉलर है तो करों और महंगाई के साथ यह 2035 तक 10 डॉलर तक पहुंच सकती है। कोलंबिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में इस तरह की टैक्स नीति के सकारात्मक परिणाम सामने आ चुके हैं, जहां उपभोग में गिरावट के साथ स्वास्थ्य सूचकांकों में सुधार देखा गया।

भारत की भूमिका

WHO की इस वैश्विक सिफारिश से पहले भारत में भी इसी तरह की पहल की बात सामने आई थी। अप्रैल 2025 में ICMR-NIN (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च - नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन) के नेतृत्व में गठित एक राष्ट्रीय समूह ने अत्यधिक वसा, चीनी और नमक युक्त खाद्य पदार्थों पर स्वास्थ्य कर लगाने का सुझाव दिया था। इस समूह ने स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों के पास ऐसे अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। यह प्रस्ताव भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की मौजूदा गाइडलाइन के अनुरूप है। जिसमें बच्चों को अस्वास्थ्यकर खाद्य विकल्पों से बचाने पर जोर दिया गया है।

उद्योग संगठनों का विरोध

हालांकि, WHO की इस नीति को लेकर वैश्विक स्तर पर खाद्य और पेय उद्योग से तीव्र विरोध भी सामने आ रहा है। इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ बेवरेज एसोसिएशंस की कार्यकारी निदेशक केट लॉटमैन ने WHO के प्रस्ताव को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह मानना कि केवल टैक्स से मोटापा कम हो जाएगा, पिछले एक दशक की असफल नीतियों को अनदेखा करना है। वहीं, डिस्टिल्ड स्पिरिट्स काउंसिल की वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमांडा बर्जर ने भी WHO की इस नीति को “भ्रामक” करार दिया और कहा कि यह अल्कोहल के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में सही कदम नहीं है।