पितृपक्ष 2025: अगस्त्य मुनि को तर्पण के बाद शुरू होगा 14 दिनों का पितृपक्ष, जानें किस तिथि को होगा किसका श्राद्ध

श्राद्ध केवल एक कर्मकांड नहीं, बल्कि पितरों का यज्ञ है। पिता, पितामह, प्रपितामह से लेकर मातृ एवं नाना-नानी पक्ष तक सभी दिवंगत आत्माओं को गोत्र और नाम लेकर जल, तिल एवं अन्न से तर्पण अर्पित किया जाता है।...

पितृपक्ष 2025
8 सितंबर से पितृपक्ष काहोगा शुभारंभ- फोटो : social Media

Pitru Paksha 2025: भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा, 7 सितंबर रविवार को सनातन धर्मावलंबी अगस्त्य मुनि का तर्पण खीरा और सुपाड़ी से करेंगे। इसके साथ ही अगले दिन, 8 सितंबर सोमवार से पितृपक्ष का शुभारंभ होगा। धार्मिक मान्यता है कि इस पखवाड़े में पिंडदान और तर्पण से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

इस बार विशेष संयोग बन रहा है। नवमी तिथि का क्षय होने से पितृपक्ष 14 दिनों का ही रहेगा। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि श्राद्ध केवल एक कर्मकांड नहीं, बल्कि पितरों का यज्ञ है। पिता, पितामह, प्रपितामह से लेकर मातृ एवं नाना-नानी पक्ष तक सभी दिवंगत आत्माओं को गोत्र और नाम लेकर जल, तिल एवं अन्न से तर्पण अर्पित किया जाता है।

21 सितंबर को महालया और सर्वपितृ अमावस्या

आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से आरंभ हुआ यह पखवाड़ा 21 सितंबर रविवार को अमावस्या के साथ संपन्न होगा। इस दिन स्नान-दान, सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध और पितृ विसर्जन का महालया पर्व मनाया जाएगा। सूर्योदय से लेकर रात 12:28 बजे तक का समय इस तर्पण के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। ब्राह्मण भोजन एवं दान के साथ पितरों को विदाई दी जाएगी।

किस तिथि को किसका श्राद्ध

जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो — अमावस्या

अकाल मृत्यु — अमावस्या

आत्महत्या या हत्या से मृत — चतुर्थी

पति जीवित और पत्नी का निधन — नवमी

साधु एवं सन्यासी — एकादशी

अन्य सभी — अपनी तिथि अनुसार

श्रद्धा और समर्पण ही तर्पण का सार

शास्त्र कहते हैं कि मनुष्य तीन ऋण लेकर जन्म लेता है — देव ऋण, गुरु ऋण और पितृ ऋण। इनमें पितृ ऋण से मुक्ति का एकमात्र साधन है श्रद्धा से किया गया तर्पण। जल, तिल और अन्न से अर्पण किया गया यह कर्म पितरों को तृप्त करता है। बदले में वे वंशजों को आयु, आरोग्य और समृद्धि का आशीष देते हैं।

पितृपक्ष कैलेंडर

7 सितंबर (रविवार): अगस्त्य ऋषि तर्पण

8 सितंबर (सोमवार): पितृपक्ष आरंभ (प्रतिपदा)

11 सितंबर (गुरुवार): चतुर्थी श्राद्ध

15 सितंबर (सोमवार): मातृ नवमी

17 सितंबर (बुधवार): इंदिरा एकादशी

20 सितंबर (शनिवार): चतुर्दशी श्राद्ध

21 सितंबर (रविवार): अमावस्या, महालया एवं सर्वपितृ विसर्जन