Govardhan Puja 2025: 22 को गोवर्धन पूजा और 23 अक्टूबर को भाई दूज, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
18 अक्टूबर को धनतेरस से शुरू हुआ दीपावली उत्सव 23 अक्टूबर को भाई दूज के साथ संपन्न होगा। आमतौर पर दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है, लेकिन इस बार तिथि के फेर से लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

Govardhan Puja 2025:सनातन धर्म में गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहा जाता है, का अत्यंत धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। इस दिन भक्त अपने घरों और मंदिरों में गाय के गोबर से भगवान गोवर्धन की प्रतिमा बनाकर श्रद्धा के साथ उसकी पूजा करते हैं।परंपरा के अनुसार, भगवान गोवर्धन को लेटे हुए पुरुष के रूप में आकार दिया जाता है। उनकी नाभि के स्थान पर मिट्टी या पीतल का दीपक रखा जाता है, जो आस्था और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। पूजा के दौरान इस दीपक में दूध, दही, शहद, गंगाजल और बताशे जैसी पवित्र सामग्री अर्पित की जाती है।इसके बाद भगवान को विविध व्यंजनों अन्न, मिठाई और पकवानों का भोग लगाया जाता है, जिसे अन्नकूट प्रसाद कहा जाता है। पूजा उपरांत यह प्रसाद परिवार और आस-पड़ोस में बांटा जाता है, जिससे समाज में एकता और प्रेम का संदेश फैलता है।भक्तों का विश्वास है कि गोवर्धन पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि, अन्न की वृद्धि और गौमाता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह पर्व हमें प्रकृति और पशुधन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी संदेश देता है। दिवाली का महापर्व पांच नहीं, बल्कि पूरे छह दिन तक चलने वाला है। 18 अक्टूबर को धनतेरस से शुरू हुआ यह उत्सव 23 अक्टूबर को भाई दूज के साथ संपन्न होगा। आमतौर पर दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा होती है, लेकिन इस बार तिथि के फेर से लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।
वरिष्ठ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, वर्ष 2025 में गोवर्धन पूजा की सही तिथि 22 अक्टूबर (बुधवार) है, जबकि भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर (गुरुवार) को मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा 2025 के शुभ मुहूर्त:
प्रातःकालीन मुहूर्त: सुबह 06:26 बजे से 08:42 बजे तक
सायंकालीन उत्तम मुहूर्त: दोपहर 03:29 बजे से शाम 05:44 बजे तक
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - 21 अक्टूबर 2025 को 05:54 PM बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त - 22 अक्टूबर 2025 को 08:16 PM बजे
(इस दिन स्वाति नक्षत्र और प्रीति योग के शुभ संयोग से दोपहर का समय पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।)
गोवर्धन पूजा का महत्व:
यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण ने अपनी कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों और गौधन को इंद्रदेव के प्रकोप से बचाया था। इसीलिए इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा की जाती है। यह पर्व हमें प्रकृति और गौमाता के प्रति आभार व्यक्त करने की प्रेरणा देता है।
मंदिरों में इस दिन अन्नकूट महोत्सव के तहत भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन भगवान को अन्न का भोग लगाता है, उसके घर में पूरे वर्ष अन्न और धन की कमी नहीं रहती।
पूजा विधि:
सुबह स्नान के बाद शुभ मुहूर्त में गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाएं, दीप जलाएं, अन्नकूट का प्रसाद चढ़ाएं और “गोवर्धन महाराज की जय” बोलते हुए परिक्रमा करें। गौसेवा और दान का विशेष महत्व इस दिन माना गया है।
भाई दूज 2025 — भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक पर्व
गोवर्धन पूजा के अगले दिन यानी 23 अक्टूबर को भाई दूज या यम द्वितीया मनाई जाएगी। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
तिलक का शुभ मुहूर्त:
दोपहर 01:13 बजे से 03:28 बजे तक
भाई दूज का यह पावन पर्व भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है। उपहारों और स्नेह से भरे इस दिन का संदेश है — “संबंधों की मिठास बनी रहे और जीवन में खुशियों का उजाला फैले।”