Lord Shani: हिंदू धर्म में शनिदेव को न्याय और कर्मों के देवता माना जाता है। मान्यता है कि वे व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार उसे पुरस्कार या दंड प्रदान करते हैं। शनिवार का व्रत मुख्य रूप से शनिदेव के लिए रखा जाता है। यह व्रत उन भक्तों द्वारा किया जाता है जो अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों, कष्टों और शनि के प्रकोप से मुक्ति पाना चाहते हैं। मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से शनिदेव की पूजा करने से भक्त को शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से राहत मिलती है। इसके अलावा, यह व्रत अनुशासन सिखाता है और परिश्रम करने की शक्ति बढ़ाता है।
इस व्रत को सामान्यतः 7 शनिवार तक रखने की सलाह दी जाती है। 7 शनिवार का व्रत रखने से भक्त को शनि के प्रकोप से सुरक्षा मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। व्रत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू किया जा सकता है, लेकिन श्रावण मास में पड़ने वाले शनिवार को विशेष महत्व दिया गया है।
शनिवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। इस दिन मांस, मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
पूजा विधि:
यदि संभव हो तो शनि मंदिर जाकर पूजा करें। शनिदेव को तिल या सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें।शनिदेव को काले वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है।शनि देव को तिल, गुड़, खिचड़ी, काले तिल से बनी चीजें और गुलाब जामुन का भोग लगाएं।
आरती और मंत्र
“ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जप करें और शनि चालीसा का पाठ करें।
पुण्य कार्य
शनिवार को काले कौवे या अन्य पक्षियों को दाना डालना भी पुण्य कार्य माना जाता है। इसके अलावा गरीबों को काले चने, सरसों का तेल या तिल का दान करना चाहिए।
शनिदेव की आंखों में नहीं देखना चाहिए; हमेशा नजरें नीचे रखें।पूजा करते समय मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।महिलाओं को शनिदेव की मूर्ति पर तेल चढ़ाना वर्जित माना जाता है।