Mahashivratri 20025 : महाशिवरात्री के दिन पार्थिव लिंग बनाकर शिव पूजन का शिव पुराण में विशेष महिमा बताया गया है। मान्यता है कि कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन की शुरुआत की थी।शिव महापुराण के अनुसार पार्थिव पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र की प्राप्ति होती है। यह मानसिक और शारीरिक परेशानियों से भी मुक्ति दिलाता है। पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।
महाशिवरात्री के दिन पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करने और उसका विधिवत पूजन करने से जीवन में सुख, संपत्ति और शान्ति की प्राप्ति होती है। पार्थिव शिवलिंग के पूजन से संतान सुख से वंचित दंपत्तियों को संतान प्राप्ति होती है तो वहीं इससे सभी कामना की पूर्ति सहज हो जाती है। साथ हीं सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है।
पार्थिव शिवलिंग की पूजा करते समय, शिवलिंग के सामने बैठकर मन ही मन पूजा का संकल्प पढ़ा जाता है. इसके बाद, पवित्र मिट्टी को फूल और चन्दन से शुद्ध करते हुए, भगवान शिव के मन्त्रों का जाप करते हुए इस मिट्टी में गाय का दूध, गोबर, गुड़, भस्म और गाय के दूध से बनाया गया मक्खन मिलाकर शिवलिंग का निर्माण किया जाता है. शिवलिंग को पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके ही बनाया जाता है.
शिव महापुराण के अनुसार पार्थिव शिवलिंग की पूजा से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र की प्राप्ति होती है तो मानसिक और शारीरिक परेशानियों से भी मुक्ति मिलती है साथ हीं करोड़ों साल तक स्वर्ग में वास का सौभाग्य भी मिलता है।
पार्थिव पूजन हर कोई कर सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला।
पार्थिव शिवलिंग कैसे बनाएं?
किसी पवित्र नदी या तालाब की मिट्टी लें।मिट्टी को फूल, चंदन और अन्य पूजन सामग्री से शोधित करें।मिट्टी में दूध मिलाकर शोधन करें।शिव मंत्र बोलते हुए मिट्टी से शिवलिंग बनाने की क्रिया शुरू करें।पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग बनाएं।
मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर पार्थिव शिवलिंग बनाएं।पार्थिव शिवलिंग 12 अंगुल से ऊंचा नहीं होना चाहिए।शिवलिंग पर चढ़ाई हुई चीजें ग्रहण नहीं करनी चाहिए।
पूजन विधि
शिवलिंग बनाने के बाद गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान करें।विधिवत तरीके से षोडशोपचार करें।पार्थिव शिवलिंग को परम ब्रह्म मानकर पूजा और ध्यान करें। महाशिवरात्री के दिन सपरिवार पार्थिव शिवलिंग बनाकर शास्त्रोक्त विधि से पूजन करने से परिवार सुखी रहता है।