Sawan 2025: सावन में महिलाओं को ऐसे करनी चाहिए भगवान शिव की आराधना, शिवलिंग की पूजा का जानें खास नियम, वरना नाराज हो जाएंगे शंकर
Sawan 2025: सावन भगवान शिव की भक्ति और आराधना का महीना होता है। पूरे एक माह तक शिवालय में भक्तों की भीड़ उमड़ी रहती है। वहीं महिलाओं को शिवलिंग की पूजा से जुड़ी खास नियम जानना चाहिए।

Sawan 2025: सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है। हिंदू धर्म में सावन के महीने को भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे उत्तम माना जाता है। जैसे ही सावन आता है, शिवालयों में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। लोग शिवलिंग पर जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और विविध अनुष्ठान करते हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान भी श्रद्धालु गंगाजल लाकर शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं। लेकिन शास्त्रों में शिवलिंग की पूजा के लिए कुछ विशेष नियम बताए गए हैं। खासकर महिलाओं के लिए शिवलिंग पूजन से जुड़े कुछ अलग नियम हैं, जिन्हें जानकर ही पूजा करनी चाहिए।
क्यों खास है शिवलिंग की पूजा?
भगवान शिव ऐसे इकलौते देवता हैं जिन्हें लिंग रूप में पूजा जाता है। 'शिव' का अर्थ है परम कल्याणकारी, जबकि 'लिंग' का अर्थ है सृजन का प्रतीक। वेदों और उपनिषदों में लिंग शब्द सूक्ष्म शरीर के लिए आता है, जो 17 तत्वों (मन, बुद्धि, पांच ज्ञानेन्द्रियां, पांच कर्मेन्द्रियां और पांच वायु) से बना होता है। वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में पूरी सृष्टि जिसमें लीन हो जाती है और फिर जिससे दोबारा प्रकट होती है वही लिंग है। इस तरह लिंग को विश्व की संपूर्ण ऊर्जा का प्रतीक माना गया है।
महिलाओं को कैसे करनी चाहिए शिवलिंग पूजा?
शास्त्रों में शिवलिंग को पुरुष तत्व का प्रतिनिधि माना गया है। इसलिए कहा जाता है कि महिलाएं शिवलिंग की पूजा बिना स्पर्श किए करें। हालांकि, अगर कोई महिला श्रद्धा भाव से शिवलिंग का स्पर्श करना चाहे, तो उसे ‘नंदी मुद्रा’ में स्पर्श करना चाहिए।
क्या है नंदी मुद्रा?
नंदी मुद्रा में बैठकर पूजा करनी चाहिए। इस मुद्रा में पहली और आखिरी उंगली को सीधा रखा जाता है, जबकि बीच की दो उंगलियों को अंगूठे से जोड़ लिया जाता है। मान्यता है कि इस मुद्रा में शिवलिंग का पूजन करने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।