मार्गशीर्ष माह में शुक्रवार को शुभ योग में करें माता लक्ष्मी की पूजा, दिव्य कृपा से खुल जाएंगे सौभाग्य के द्वार

Dharm: मार्गशीर्ष माह हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। शास्त्रों में इसे भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय माह कहा गया है।

Worship Goddess Lakshmi
शुभ योग में करें माता लक्ष्मी की पूजा, खुल जाएंगे सौभाग्य के द्वार- फोटो : social Media

Dharm: मार्गशीर्ष माह हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना गया है। शास्त्रों में इसे भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय माह कहा गया है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के बाद जब भगवान श्रीहरि विष्णु अपनी चार माह की योगनिद्रा से जागते हैं, तब सृष्टि का संचालन पुनः प्रारम्भ होता है। इसी कारण मार्गशीर्ष माह को सौभाग्य, समृद्धि और दिव्यता का प्रतीक माना गया है।

इस माह की पूर्णिमा विशेष रूप से फलदायी मानी गई है। इस दिन भक्तजन धन-वैभव की अधिष्ठात्री माता लक्ष्मी की आराधना करते हैं, सत्यनारायण भगवान का पूजन करते हैं और चंद्र देव को अर्घ्य अर्पित करके कष्टों से मुक्ति और सौभाग्य की प्राप्ति का फल पाते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि इस पावन दिन स्नान के पश्चात पितरों के तर्पण, दान-पुण्य, दीपदान और व्रत करने से अनेक जन्मों के पापों का क्षय होता है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है।

इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी, क्योंकि तिथि दो दिनों तक है। पंचांग अनुसार पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर को प्रातः 08:37 बजे आरम्भ होकर 5 दिसंबर को प्रातः 04:43 बजे समाप्त हो जाएगी। लेकिन इस बार पूर्णिमा की उदयातिथि प्राप्त नहीं होने के कारण निर्णय चंद्रोदय के आधार पर होगा। चूंकि पूर्णिमा के चंद्रमा को अर्घ्य देना अत्यंत आवश्यक है, इसलिए जिस दिन चंद्रोदय पूर्णिमा तिथि में हो—वही मुख्य दिवस माना जाता है। इस वर्ष चंद्रोदय 4 दिसंबर को पूर्णिमा तिथि में ही होगा, अतः मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत, पूजन, स्नान, दान एवं अर्घ्य सभी 4 दिसंबर को ही किए जाएंगे।

इसी के साथ 5 दिसंबर को पौष के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा और शुक्रवार का पवित्र योग भी विशेष फलदायी है। शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी और शुक्र ग्रह को समर्पित होने के कारण सौंदर्य, सुख, संपन्नता, प्रेम और ऐश्वर्य का दाता माना जाता है। इस दिन सिद्ध और साध्य योग बनना इसके फल को और भी शुभ बना देता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का यह दिव्य अवसर भक्तों के लिए सौभाग्य के द्वार खोलता है। जो जन श्रद्धा और आस्था से इस व्रत को करते हैं, उन पर भगवान श्रीहरि, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की कृपा अवश्य बरसती है।