Spirituality:जब प्रकृति ने रोक दी मौत और हिरणी ने दिखाया — कैसे आस्था, प्रेम और समर्पण के बल पर झुक जाती है किस्मत

Spirituality: जब जंगल बना धर्मक्षेत्र और एक हिरणी बनी श्रद्धा की देवी, आग, तीर और शेर के बीच जन्मी आस्था की विजयगाथा

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जब प्रकृति ने रोक दी मौत...- फोटो : meta

Spirituality: जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी वो एकांत जगह की तलाश में घूम रही थी कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी।उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी।उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कड़कने लगी। उसने बायें देखा तो एक शिकारी तीर का निशाना उस की तरफ साध रहा था। घबराकर वह दाहिने मुड़ी तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था। सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुड़ी तो नदी में जल बहुत था।

मादा हिरनी क्या करती? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा? क्या हिरनी जीवित बचेगी? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी? क्या शावक जीवित रहेगा? क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी? क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी? वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो?हिरनी अपने आप को शून्य में ईश्वर के भोरोसे छोड़,अपने प्राथमिक उत्तरदायित्व यानी अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी।

भगवान को लीला देखिये बिजली चमकी और तीर छोडते हुए , शिकारी की आँखे चौंधिया गयी उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते शेर की आँख में जा धंसी, शेर दर्द से बिलबिलाता हुआ इधर उधर भागने लगा और शिकारी शेर को घायल ज़ानकर भाग निकलने में ही भलाई समझा। दूसरी तरफ घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी फिर हिरनी ने सुकून से अपने बच्चे को जन्म दिया। आखिरकार हिरणी जीत गई..

यह जीत है..प्रेम का.. समर्पण का..आस्था का...विश्वास का..एकनिष्ठ होकर जीने का..एक जंगली जानवर रिश्ते को जीने का सिख दे गया...चाहे वो इंसान में हो या भगवान में....रिश्ता हो तो ऐसा...जहां भाव हो..प्रेम हो ,समर्पण हो....यानी हिरणी जैसा....

संपादक कौशलेंद्र प्रियदर्शी की कलम से....