Value Of Relationships: जब भीतर से भरोसा टूटता है, तो बाहरी ताकतें घर को खोखला कर देती हैं, कैसे, पढ़िए....

Value Of Relationships: "घर फूटे जवार लूटे" यह कहावत आपसी कलह से परिवार टूटने और बाहरी हस्तक्षेप से बिगड़ते रिश्तों की सीख देती है। सतर्क रहकर घर बचाना जरूरी है।कौशलेंद्र प्रियदर्शी की इस कहानी बताती है कि "घर" सिर्फ दीवारों का नाम नहीं, यह रिश्तों

Value Of Relationships
घर फूटे जवार लूटे- फोटो : meta

Value Of Relationships:  घर फूटे जवार लूटे

बचपन में यह कहावत प्राय: सुना करता था. हम भाई जब भी आपस में लड़ते, तो मां इसे दोहराती थी। समय के साथ कहावत का मर्म समझ में आया और इसका दायरा भी घर से बढ़ते हुए टोला, गांव, जवार, जिला, प्रांत, देश, दुनिया के स्तर तक पहुंच गया।

आप जिसे घर कहते हैं किसी कारण वश जब बाहरी का प्रवेश होता है तो आपके घर की स्थिति बिगड़ने लगती है। आपसी प्रेम भाव के साथ माहौल भी खराब होने लगता है। देहात से लेकर शहर तक इसका प्रकोप बढ़ा है। कई परिवार बिखर गए और कई उस रास्ते पर हैं। आपके घर में पर कोई बाहरी तत्व का प्रवेश ऐसा पेंच लगाता है कि रिश्ते नाते सब कुछ पस्त पड़ जाते हैं।

रामू एक साधारण किसान था, जो अपने छोटे से परिवार और भाई के साथ गांव में सुकून से जीवन बिताता था। उसका घर प्रेम, परिश्रम और आपसी समझदारी से चलता था। लेकिन वक्त ने करवट ली और एक दिन उनके घर में एक बाहरी व्यक्ति का प्रवेश हो गया। शुरुआत में सब कुछ सामान्य लगा, पर धीरे-धीरे उस बाहरी ने परिवार के बीच नफरत और शक का बीज बो दिया।रामू की पत्नी उस बाहरी व्यक्ति की बातों में आने लगी। वह रामू पर शक करने लगी और हर छोटी-बड़ी बात में उसे दोषी ठहराने लगी। रामू, जो हमेशा घर को जोड़कर रखने में विश्वास करता था, स्थिति को समझ गया। उसने अपनी पत्नी को कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन पत्नी अब रामू की नहीं, बाहरी की बातों पर विश्वास करती थी।

इधर रामू के भाई भी उस बाहरी के प्रभाव में आ गए। भाईचारा टूटने लगा, मनमुटाव और कड़वाहट का माहौल बनने लगा। एक समय ऐसा आया जब लगने लगा कि यह घर अब बिखर जाएगा – न संबंध बचेंगे, न अपनापन।लेकिन रामू ने हार नहीं मानी। वह जानता था कि घर यूं ही नहीं बनते। वर्षों की मेहनत, त्याग और प्रेम से एक परिवार आकार लेता है। उसने धैर्य नहीं छोड़ा, लगातार रिश्तों को संभालता रहा। वह चुपचाप अपने कर्म करता रहा, सभी के लिए अच्छा सोचता रहा, और समय आने पर सच्चाई सबके सामने आई।बाहरी व्यक्ति का असली चेहरा उजागर हुआ। रामू की पत्नी को भी अपनी भूल का एहसास हुआ और भाइयों को भी रामू की नीयत समझ में आई। अंततः रामू के सच्चे प्रयासों और सकारात्मक दृष्टिकोण की जीत हुई और घर फिर से एक हो गया।

इस कहानी से हमे सीख मिलती है कि घर घर होता है।मानो तो देव नहीं तो पत्थर। यह बहुत कोशिशों के बाद बनता है। अगर आपको अहसास हो जाए कि घर के अंदर मेरी तरफ से कुछ गड़बड़ी हुई है तो आप सतर्क हो जाएं। जो हुआ सो हुआ। अब नहीं...आगे बढ़ें...फिर अपने रास्ते पर लौट जाएं...

तुलसीदास लिखते हैं- हानि लाभ जीवन मरण। यश अपयश विधि हाथ।।

कुछ चीजें विधि के हाथ में होती है...इसीलिए सतर्क और सावधान हो जाएं..फिर सूर्य की नई किरण की तरह एक नई शुरुआत भी कर लेनी चाहिए।जीवन इसी का नाम है।...

कौशलेंद्र प्रियदर्शी की कलम से......