Sri Ramcharit Manas: हनुमानजी ने अपनी वरदानी शक्तियों को भूलने का कारण एक श्राप था, जो उन्हें बचपन में उनकी शरारतों के लिए दिया गया था।
हनुमानजीको कई देवी-देवताओं से विभिन्न प्रकार के वरदान और अस्त्र-शस्त्र प्राप्त हुए थे। इन शक्तियों के कारण वे अत्यंत बलशाली और अद्वितीय थे। उनके पास जो गदा थी, वह धन के देवता कुबेर से मिली थी, जिसमें कई प्रकार की शक्तियां समाहित थीं।
हनुमानजी का बचपन बहुत ही शरारती था। वे अक्सर ऋषि-मुनियों के आश्रमों में जाकर उनकी तपस्या को भंग करते थे। उदाहरण के लिए, वे बगीचों में घुसकर फल-फूल तोड़ते थे और मुनियों को परेशान करते थे. उनकी इस शरारती प्रवृत्ति ने कई ऋषियों को नाराज कर दिया।
जब हनुमानजी की शरारतें बढ़ गईं, तो ऋषि अंगिरा और भृगुवंश के ऋषियों ने क्रोधित होकर उन्हें श्राप दिया कि वे अपनी सारी शक्तियां भूल जाएंगे. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जब उचित समय आएगा और कोई उन्हें याद दिलाएगा, तब वे अपनी शक्तियों को पुनः प्राप्त कर लेंगे.
जब श्रीराम ने लंका जाने के लिए वानर सेना का गठन किया और हनुमानजी को लंका जाने का आदेश दिया, तब हनुमानजी ने अपनी असमर्थता जताई क्योंकि उन्हें अपनी शक्तियों का स्मरण नहीं था. इस स्थिति में जामवंतजी ने हनुमानजी को उनकी शक्तियों की याद दिलाई। उन्होंने हनुमानजी के गुणों का बखान किया और बताया कि उन्हें ध्यान लगाकर अपनी शक्तियों को पुनः प्राप्त करना होगा.
जैसे ही हनुमानजी ने अपनी शक्तियों का आभास किया, उन्होंने विराट रूप धारण किया और समुद्र पार करने के लिए उड़ गए. इस प्रकार, श्राप के प्रभाव से उन्होंने अपनी शक्तियां भूलने के बाद भी सही समय पर उन्हें पुनः प्राप्त किया।
इस तरह से हनुमानजी की कहानी हमें यह सिखाती है कि कभी-कभी हमारी क्षमताओं को पहचानने में समय लगता है, लेकिन सही मार्गदर्शन मिलने पर हम अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान सकते हैं।