Chaitra Navratri 2025: शक्ति की आराधना का महापर्व चैत्र नवरात्र कल से होगा शुरु, नौ देवियों की आठ दिन में होगी आराधना
Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र में शक्ति की आराधना का विधान है। यह पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है, जो शक्ति, ज्ञान और भक्ति का प्रतीक हैं। ...

Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्र में शक्ति की आराधना का विधान है। यह पर्व देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है, जो शक्ति, ज्ञान और भक्ति का प्रतीक हैं। मां खी पूजा से मानसिक शांति, आत्मिक बल और शारीरिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है।साथ हीं चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की आराधना से भक्तों को आत्मिक उत्थान और व्यक्तिगत विकास भी होता है। नवरात्रि का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। देवी दुर्गा ने महिषासुर जैसे दैत्यों पर विजय प्राप्त करके यह सिद्ध किया कि सच्चाई और धर्म हमेशा विजयी होते हैं।
चैत्र नवरात्र 2025 का शुभारंभ 30 मार्च से होगा और इसका समापन 6 अप्रैल को होगा। इस वर्ष नवरात्रि केवल 8 दिनों की होगी, क्योंकि अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन पड़ रही हैं।चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 4:27 बजे से शुरू होगी और 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी।घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च को सुबह 6:13 बजे से सुबह 10:22 बजे तक रहेगा।अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है, जो दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे तक रहेगा।
चैत्र नवरात्र 2025 का आरंभ 30 मार्च से होगा और इसका समापन 6 अप्रैल को होगा। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी। घटस्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं:
पहला मुहूर्त: सुबह 06:13 बजे से सुबह 10:22 बजे तक।दूसरा अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे तक।
सबसे पहले, जिस स्थान पर घटस्थापना करनी है, वहां गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें।एक मिट्टी के बर्तन में थोड़ी सी मिट्टी डालें और उसमें जौ के बीज डालें।एक तांबे के कलश में जल भरें, उसमें गंगाजल, सुपारी, अक्षत (चावल), दूर्वा घास और सिक्का डालें।कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और लाल कपड़े में लिपटा नारियल रखें।कलश को जौ के बर्तन के ऊपर रखें और मां दुर्गा का आह्वान करें।पूजा करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।मां को सफेद रंग का भोग अर्पित करें जैसे कि घी से बनी चीजें, फल आदि।मां शैलपुत्री की आरती करें।
“या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
प्रथम दिन (मां शैलपुत्री):मां शैलपुत्री की पूजा होती है। इन्हें सफेद रंग के फूल और गाय के घी से बनी मिठाई का भोग अर्पित किया जाता है।
मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः” का जाप करें।
दूसरा दिन (मां ब्रह्मचारिणी):मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग अर्पित करें।मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः” का जाप करें।
तीसरा दिन (मां चंद्रघंटा):मां चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी मिठाई का भोग अर्पित करें।मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चंद्रघंटायै नमः” का जाप करें।
चौथा दिन (मां कुष्मांडा):मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग अर्पित करें।मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्माण्डायै नमः” का जाप करें।
पांचवां दिन (मां स्कंदमाता):मां स्कंदमाता को केले का भोग अर्पित करें।मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नमः” का जाप करें।
छठा दिन (मां कात्यायनी):मां कात्यायनी को शहद का भोग अर्पित करें।मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनी महाक्रूरी नमः” का जाप करें।
सातवां दिन (मां कालरात्रि):मां कालरात्रि को गुड़ या उससे बनी चीजों का भोग अर्पित करें।मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः” का जाप करें।
आठवां दिन (मां महागौरी):मां महागौरी को नारियल और हलवे-पूरी का भोग अर्पित किया जाता है।मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्यै नमः” का जाप करें।
नौवां दिन (मां सिद्धिदात्री):इस दिन हलवा-पूरी और चने की सब्जी चढ़ाई जाती है। कन्या पूजन भी किया जाता है।मंत्र: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्र्यै नमः” का जाप करें।