Bihar News:आस्था का सैलाब, बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा घाटों पर उमड़ी लाखों की भीड़, हर हर गंगे से गूंजा किनारा

Bihar News: बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जन्मदिवस के रूप में महत्वपूर्ण है, बल्कि सनातन धर्म में भी इसका खास स्थान है।

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बुद्ध पूर्णिमा: धर्म और आस्था का संगम!- फोटो : reporter

Bihar News: बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर मुंगेर के पवित्र गंगा घाट - कष्टहरणी, बबुआ, और सोझी - आज आस्था के महासागर में डूबे नजर आए। वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि के इस महापर्व पर सुबह से ही लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान, दान-पुण्य और पूजा-अर्चना के लिए इन घाटों पर उमड़ पड़े। गंगा के तट पर भक्ति और आस्था का ऐसा अद्भुत संगम देखने को मिला कि हर तरफ 'हर हर गंगे' का जयघोष गूंज उठा।

बुद्ध पूर्णिमा: धर्म और आस्था का संगम!

घाटों पर विराजमान पंडितों ने बुद्ध पूर्णिमा के धार्मिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हिंदी पंचांग के वैशाख मास की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। यह दिन न केवल भगवान बुद्ध के जन्मदिवस के रूप में महत्वपूर्ण है, बल्कि सनातन धर्म में भी इसका खास स्थान है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने और भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी का जलाभिषेक करने से परिवार में सुख, समृद्धि और वैभव आता है। पंडितों ने यह भी बताया कि बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा स्नान करना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह पापों का नाश करता है और पुण्य की प्राप्ति कराता है।

कष्टहरणी, बबुआ, सोझी घाट: आस्था के तीन धाम!

मुंगेर के कष्टहरणी घाट का तो ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व ही निराला है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, स्वयं भगवान राम और लक्ष्मण ने ताड़का वध के बाद इसी घाट पर स्नान किया था। इसका नाम 'कष्टहरणी' इसीलिए पड़ा, क्योंकि यहां स्नान करने से शारीरिक और मानसिक कष्ट दूर होते हैं। वहीं, बबुआ घाट अपनी सुंदरता और सजी हुई सीढ़ियों के लिए जाना जाता है, जहां श्रद्धालु स्नान के साथ-साथ सूर्योदय और सूर्यास्त के मनमोहक नजारों का भी आनंद लेते हैं। सोझी घाट अपनी साफ-सफाई और शांत वातावरण के चलते श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। इन तीनों ही घाटों पर सुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ना शुरू हो गया था, जिसमें मुंगेर के सभी नौ प्रखंडों के साथ-साथ जमुई, लखीसराय, शेखपुरा और आसपास के अन्य जिलों से भी लोग शामिल थे।

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भीड़ का रिकॉर्ड, प्रशासन अलर्ट!

बुद्ध पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए उमड़ी इस अभूतपूर्व भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन पूरी तरह से सतर्क था और उसने व्यापक इंतजाम किए थे। घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी गई थी, ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना न हो। गोताखोरों की तैनाती, मेडिकल टीमें और भारी पुलिस बल हर जगह मौजूद था। इसके अलावा, श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए घाटों पर साफ-सफाई और पीने के पानी की भी उत्तम व्यवस्था की गई थी। प्रशासन ने वाहनों की पार्किंग और यातायात व्यवस्था को भी सुचारू बनाए रखा, जिससे कहीं भी जाम की स्थिति पैदा नहीं हुई।

दान-पुण्य और भक्ति का अद्भुत संगम!

गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने दिल खोलकर जरूरतमंदों को अनाज, कपड़े और अन्य जरूरी चीजें दान कीं। कई लोगों ने घाटों पर बने मंदिरों में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना की। स्थानीय निवासी राम प्रसाद ने कहा, "बुद्ध पूर्णिमा का स्नान हमारे लिए बहुत ही खास महत्व रखता है। यह न केवल धार्मिक है, बल्कि इससे मन को शांति भी मिलती है।" वहीं, एक अन्य श्रद्धालु राधा देवी ने बताया कि वह हर साल इस पवित्र पर्व पर कष्टहरणी घाट पर स्नान करने आती हैं, क्योंकि यह उनकी गहरी आस्था का केंद्र है।



रिपोर्ट- मो. इम्तियाज खान