Bihar Education News: जिला शिक्षा कार्यालय में आरटीआई सूचनाओं पर लापरवाही, 3 साल बाद भी अधूरी जानकारी, आयोग ने लगाई फटकार
Bihar Education News: जिला शिक्षा कार्यालय भागलपुर में आरटीआई (सूचना के अधिकार) के तहत मांगी गई जानकारियों को लेकर भारी लापरवाही और ढिलाई सामने आई है।

Bihar Education News: भागलपुर जिला शिक्षा कार्यालय भागलपुर में आरटीआई (सूचना के अधिकार) के तहत मांगी गई जानकारियों को लेकर भारी लापरवाही और ढिलाई सामने आई है।इन दिनों बिहार राज्य सूचना आयोग में जिला शिक्षा कार्यालय भागलपुर के खिलाफ लगातार सुनवाई हो रही है, जिनमें अधिकतर मामले वही हैं जिनमें पिछले ढाई-तीन से लेकर चार साल तक आवेदकों को समुचित सूचना नहीं दी गई। इस देरी से तंग आकर आवेदकों को आयोग का दरवाजा खटखटाना पड़ रहा है, और वर्षों बाद ही सही, उन्हें आयोग के निर्देशों के बाद जवाब मिल पा रहा है।
ऐसा ही एक ताजा मामला जिला शिक्षा पदाधिकारी (स्थापना) कार्यालय भागलपुर से जुड़ा है। एक आवेदक ने 10 दिसंबर 2021 को एक आरटीआई आवेदन देकर जानकारी मांगी थी। मामला एक समसामयिक समाचार से जुड़ा था, जो 15 फरवरी 2021 को प्रकाशित हुआ था। उस समाचार में जिला शिक्षा पदाधिकारी के हवाले से कहा गया था कि जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना के पत्रांक 530, दिनांक 15 फरवरी 2021 के तहत 33 प्रधानाध्यापकों की शैक्षणिक डिग्रियों पर सवाल उठाए गए हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा इन 33 प्रधानाध्यापकों के प्रमाण पत्रों की जांच कर उचित कार्रवाई (डिग्री फर्जी पाए जाने पर वेतन रिकवरी और कानूनी कार्रवाई) का वादा किया गया था।लेकिन आवेदक द्वारा मांगी गई जानकारी के बावजूद तीन साल बीत जाने के बाद भी स्पष्ट, सटीक और बिंदुवार सूचना नहीं दी गई। मजबूर होकर आवेदक ने राज्य सूचना आयोग का रुख किया, जहां मामला बाद संख्या A7660/2022 के तहत 25 मार्च 2025 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुआ।
21 मार्च 2025 को लोक सूचना पदाधिकारी द्वारा भेजी गई सूचना अधूरी और भ्रामक थी।डाक से भेजे गए पत्र में उत्तर का मुख्य पृष्ठ ही गायब था।दूरभाष पर संपर्क करने पर स्थापना शाखा के कर्मचारी ने गलती स्वीकार की और व्हाट्सएप पर अस्पष्ट सूचना भेजी।डीपीओ स्थापना देवेन्द्र पंडित द्वारा मौखिक रूप से सभी डिग्रियों को सही बताया गया, जो पूर्व के आरोपों से मेल नहीं खाता।
राज्य सूचना आयोग ने स्पष्ट रूप से लोक सूचना पदाधिकारी के जवाब में त्रुटियां पाईं और उन्हें पुनः सटीक व बिंदुवार उत्तर देने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 14 मई 2025 को निर्धारित की गई है।सूत्रों की मानें तो इस प्रकरण में बड़े स्तर पर लेन-देन का खेल हुआ है, जिसके चलते किसी भी प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि इसकी पुष्टि News4Nation नहीं करता और यह जांच का विषय है। अगर निष्पक्ष जांच हो तो इस पूरे प्रकरण में बड़े खुलासे संभव हैं।आखिर जिला शिक्षा कार्यालय सही और सटीक जानकारी देने से क्यों बच रहा है? प्रपत्र 'क' के आधार पर बिंदुवार जवाब देने में इतनी कठिनाई क्यों हो रही है? क्या कोई सच्चाई छुपाई जा रही है?अब देखना दिलचस्प होगा कि 14 मई 2025 को अगली सुनवाई में जिला शिक्षा कार्यालय आखिर क्या सफाई देता है।