Bihar School News: शिक्षा विभाग में बड़ा घोटाला, 36 हेडमास्टर और 13 ठेकेदारों और 2 अधिकारियों पर फर्जीवाड़े का केस, 52 योजनाओं में हुआ 'खेल'!

Bihar School News:शिक्षा विभाग की योजनाओं में गड़बड़ी करने के आरोप में 36 हेडमास्टरों और 13 ठेकेदारों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

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शिक्षा विभाग में बड़ा घोटाला- फोटो : social Media

Bihar School News: बिहार के शिक्षा विभाग में एक बार फिर भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का सनसनीखेज मामला सामने आया है। शिक्षा विभाग की योजनाओं में गड़बड़ी करने के आरोप में 36 हेडमास्टरों और 13 ठेकेदारों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई शिक्षा विभाग की विभिन्न योजनाओं, जैसे स्कूलों में बुनियादी ढांचे के विकास, मिड-डे मील, और अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों में फर्जी बिलिंग, काम नहीं करने, और अनियमितताओं के खुलासे के बाद की गई है।

हेडमास्टरों और ठेकेदारों ने मिलकर स्कूलों में निर्माण कार्य, मिड-डे मील, और अन्य योजनाओं के लिए फर्जी बिल प्रस्तुत किए।कई मामलों में काम अधूरा छोड़ा गया या बिना काम किए ही भुगतान हड़प लिया गया।कुछ स्कूलों में ठेकेदारों ने निम्न-गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग किया, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ।

लखीसराय जिले में स्कूलों के विकास और सुदृढ़ीकरण के लिए चल रही योजनाओं में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का पर्दाफाश हुआ है। शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) संजय कुमार ने रविवार को टाउन थाने में 52 योजनाओं में फर्जीवाड़े के आरोप में दो अलग-अलग प्राथमिकियाँ दर्ज कराईं। इस मामले में 36 प्रधानाध्यापकों, 13 ठेकेदारों (वेंडर), एक कनीय अभियंता और एक सहायक सह कार्यपालक अभियंता को नामजद किया गया है।

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डीएम मिथिलेश मिश्र के निर्देश पर कोषागार में भुगतान के लिए भेजी गई 321 योजनाओं की जाँच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई थी। जाँच में 90 योजनाओं में बिना स्थलीय कार्य किए फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई। इनमें से 52 योजनाओं के लिए तत्काल केस दर्ज किया गया।

डीपीओ ने शनिवार देर रात टाउन थाने में आवेदन देकर दो प्राथमिकियाँ दर्ज कराईं।स्थापना शाखा के 29 योजनाओं में अनियमितता के साथ हीं योजना एवं लेखा शाखा 23 योजनाओं में गड़बड़ी पाई गई है।

ठेकेदार (वेंडर):योजना एवं लेखा शाखा (6 वेंडर) अमन ट्रेडर्स (नया बाजार), नव्या इंटरप्राइजेज (वार्ड 02), पंकज कुमार (रहाटपुर), रजनीकांत रमण (आनंदपुर), एसआरएस ट्रेडर्स (सेना कुमार सुमन), न्यू पुलिस लाइन पर भी शिकंजा कसा है।

स्थापना शाखा (7 वेंडर) दीक्षा इंटरप्राइजेज (रानी कुमारी), सुधांशु कुमार (साबिकपुर), शगुन (पुरानी बाजार), रूपा कुमारी (बन्नुबगीचा), थालसा इंडीफिसेंस प्राइवेट लिमिटेड (आदित्य मयंक), एसएसएस इंटरप्राइजेज (अंशु कुमार), ओम प्रकाश ट्रेडर्स (कचहरी इंग्लिश) पर केस दर्ज हुआ है

प्रधानाध्यापक योजना एवं लेखा शाखा (17): जयनारायण दास (उमवि पचाम), विकास कुमार पासवान (उमवि धनवह), सत्यनारायण मंडल (प्रावि सुंदरपुर), कृष्णनंदन मिस्त्री (उमवि जगुआजोर), आनंद कुमार (मवि लाखोचक), पूनम कुमारी (प्रावि बिछवे मुसहरी), ललन कुमार (प्रावि दोगाय), आंजती देवी (प्रावि बोधनगर), मंटुन रजक (मवि लोशघानी), जानकी प्रसाद रविदास (उमवि राता), शिव बालक प्रसाद (प्रावि नीमचक), रंजीत कुमार (प्रावि नेमदारगंज), मुकेश कुमार (मवि मकदमपुर), राकेश कुमार (मवि नोनगढ़), राम सागर यादव (उमवि भनपुरा), मकेश्वर महतो (डीपीईपी सिरखिंडी), धर्मेंद्र कुमार (प्रावि सूर्यगढ़ा)।स्थापना शाखा (19): रविनंदन चौधरी (प्रावि बड़हिया नंबर 01), राजाराम पासवान (मवि नौमा), चंदन कुमार (प्रावि गौसपुर), संजय कुमार (मवि सहूर), स्नेहा कुमारी (प्रावि बेलदारी), पंकज कुमार (मवि साबिकपुर), शैलेश कुमार (उमवि गढ़ टोला), नरेश प्रसाद यादव (प्रावि कमियांपुर), देवनंदन प्रसाद यादव (मवि गोहरी), रघुवीर केवट (प्रावि दीघा), प्रवीण कुमार (प्रावि चकताही), राजेश कुमार (प्रावि रायकुंडी), विनोद कुमार सिंह (प्रावि चंपानगर), मदन दास (मवि घोघी), प्रतिमा कुमारी (प्रावि अनुसूचित जाति टोला), राम शंकर कुमार (प्रावि पीरी बाजार), विनोद कुमार पासवान (मवि मुस्तफापुर), दो अन्य।कनीय अभियंता अभयपाल और सहायक सह कार्यपालक अभियंता सुबोध कुमार पर भी शिकंजा कसा है।

बिना निर्माण कार्य किए या अधूरे कार्यों के लिए फर्जी बिल बनाए गए।निम्न-गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग कर सरकारी धन का गबन किया गया।योजनाओं के भुगतान के लिए कोषागार में फर्जी दस्तावेज जमा किए गए।डीएम के निर्देश पर शेष 38 योजनाओं की जाँच तेज की गई है, जिनमें और कार्रवाई संभव है।पुलिस ने प्राथमिकी के आधार पर आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है।शिक्षा विभाग भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग और सख्त ऑडिट प्रणाली लागू करने की योजना बना रहा है।

यह घोटाला लखीसराय के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य पर सवाल उठाता है। स्कूलों के विकास के लिए आवंटित धन का दुरुपयोग होने से बुनियादी सुविधाएँ, जैसे कक्षाएँ, शौचालय, और शिक्षण सामग्री, प्रभावित हुई हैं। यह मामला शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को भी उजागर करता है।


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