Bihar Teacher News: एसीएस डॉ सिद्धार्थ का बड़ा फैसला, प्रधानाध्यापकों से छीनी ये जिम्मेदारी, नई व्यवस्था का पायलट प्रोजेक्ट शुरू!

Bihar Teacher News: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को पत्र जारी कर महत्वपूर्ण परिवर्तन की सूचना दी।

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एसीएस डॉ सिद्धार्थ का बड़ा फैसला- फोटो : social Media

Bihar Teacher News: बिहार के प्रारंभिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना (MDM) के संचालन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन होने जा रहा है, जिसका स्कूलों के कामकाज और शिक्षा की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। अब तक इस योजना का उत्तरदायित्व विद्यालय के प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षक के पास था, लेकिन एक नई व्यवस्था के तहत यह जिम्मेदारी किसी अन्य शिक्षक को सौंपी जाएगी। इस बदलाव को कार्यान्वित करने के लिए शिक्षा विभाग ने एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का निर्णय लिया है, जो 13 मई से 13 जून 2025 तक प्रत्येक जिले के एक-एक प्रखंड के स्कूलों में लागू किया जाएगा। इस पायलट प्रोजेक्ट की समीक्षा के पश्चात इसे राज्य के सभी प्रारंभिक विद्यालयों में लागू करने की योजना है।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बुधवार को सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों  को पत्र जारी कर इस परिवर्तन की सूचना दी। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत चयनित स्कूलों में प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षक मध्याह्न भोजन योजना के संचालन से पूरी तरह मुक्त रहेंगे। उनकी मुख्य जिम्मेदारी अब विद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाना और शिक्षण कार्य की गुणवत्ता में सुधार करना होगा।अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ ने कहा कि प्रधानाध्यापकों का मुख्य कर्तव्य स्कूलों में शिक्षा के अनुकूल माहौल को मजबूत करना है। मध्याह्न भोजन योजना की जिम्मेदारी अन्य शिक्षकों को सौंपने से वे अपने मूल कार्य पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। नई व्यवस्था के अंतर्गत मध्याह्न भोजन योजना के लिए विद्यालय में एक अन्य शिक्षक को प्रभारी नियुक्त किया जाएगा। इस प्रभारी शिक्षक की जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई हैं.

उपस्थिति का फोटोग्राफ: प्रभारी शिक्षक को विद्यालय शुरू होने के एक घंटे के बाद उपस्थित बच्चों की संख्या का फोटो लेना अनिवार्य होगा। यह कदम पारदर्शिता सुनिश्चित करने और योजना के दुरुपयोग को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है।

खाद्यान्न और सामग्री वितरण: बच्चों की उपस्थिति के आधार पर प्रभारी शिक्षक रसोइया को मध्याह्न भोजन बनाने के लिए आवश्यक खाद्यान्न और अन्य सामग्री उपलब्ध कराएंगे। इससे भोजन की मात्रा और गुणवत्ता को नियंत्रित करने में सहायता मिलेगी।

निगरानी और समन्वय: प्रभारी शिक्षक को भोजन की तैयारी, वितरण और स्वच्छता से संबंधित सभी कार्यों की निगरानी करनी होगी। इसके साथ ही, उन्हें जिला और प्रखंड स्तर के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करना होगा।

एक महीने की कड़ी परीक्षा

शिक्षा विभाग ने इस नई प्रणाली का मूल्यांकन करने के लिए एक महीने का पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का निर्णय लिया है। 13 मई से 13 जून 2025 तक प्रत्येक जिले के एक प्रखंड के विद्यालयों में यह प्रणाली लागू रहेगी। इस दौरान निम्नलिखित पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

बिहार में वर्तमान स्थिति

बिहार में मध्याह्न भोजन योजना लाखों बच्चों के लिए पोषण और विद्यालय में नियमित उपस्थिति सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। राज्य के लगभग 70,000 प्रारंभिक विद्यालयों में यह योजना संचालित होती है, जिससे लगभग 1.2 करोड़ बच्चे लाभान्वित होते हैं। 

सवाल है कि क्या यह नई प्रणाली बिहार के विद्यालयों में शिक्षा और पोषण के बीच संतुलन स्थापित कर पाएगी, या यह केवल एक और प्रशासनिक प्रयोग बनकर रह जाएगी? इसका उत्तर पायलट प्रोजेक्ट के परिणामों और भविष्य की कार्रवाइयों पर निर्भर करेगा। फिलहाल, बिहार की शिक्षा व्यवस्था में यह बदलाव उम्मीद की एक नई किरण लेकर आया है।