Bihar Teacher News:बिहार में फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्र का बड़ा घोटाला, 106 शिक्षकों पर केस दर्ज, बाकी का सच पता लगाने में निगरानी विभाग जुटा
Bihar Teacher News: बिहार सरकार के संविदा शिक्षकों में फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्र (फर्जी डिग्री/सर्टिफिकेट) के आधार पर नियुक्ति का मामला अब पूरे राज्य में गर्मागरम चर्चा का विषय बन गया है।

Bihar Teacher News: बिहार सरकार के संविदा शिक्षकों में फर्जी शैक्षणिक प्रमाणपत्र (फर्जी डिग्री/सर्टिफिकेट) के आधार पर नियुक्ति का मामला अब पूरे राज्य में गर्मागरम चर्चा का विषय बन गया है। विजिलेंस इंटेलिजेंस ब्यूरो (VIB) की सतर्कता कार्रवाई के तहत अक्टूबर माह में अकेले छह और शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिससे इस साल कुल एफआईआर की संख्या बढ़कर 106 हो गई। यह जांच मुख्यतः 2006 से 2015 के बीच नियुक्त शिक्षकों पर केंद्रित है।
अब तक सतर्कता अधिकारियों ने 6,45,000 से अधिक शैक्षणिक प्रमाणपत्रों का सत्यापन किया है। इस जांच के परिणामस्वरूप राज्य के विभिन्न जिलों में कार्यरत कुल 2,886 शिक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। अधिकारियों ने बताया कि इस वर्ष एफआईआर महीनेवार इस प्रकार दर्ज की गई हैं: 15 जनवरी, 5 फरवरी, 21 मार्च, 13 अप्रैल, 9 मई, 6 जून, 11 जुलाई, 12 अगस्त, 8 सितंबर और 6 अक्टूबर।
पटना उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद, VIB ने बिहार में फर्जी प्रमाणपत्र जमा करने वाले 21 शिक्षकों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की है। सतर्कता अधिकारियों का कहना है कि कई प्रमाणपत्रों का सत्यापन अभी भी जारी है और भविष्य में और भी एफआईआर दर्ज होने की संभावना है। इसने राज्य में संविदा शिक्षकों के बीच व्यापक चिंता और दहशत पैदा कर दी है।
सूत्रों ने बताया कि बिहार में हजारों शिक्षक फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। निगरानी विभाग लगातार इनकी जांच कर रहा है। जांच में दोषी पाए जाने वाले शिक्षकों को नौकरी से बर्खास्त किया जा रहा है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जा रही है।
सतर्कता ब्यूरो ने स्पष्ट किया है कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है। विभाग पूरे राज्य में फर्जी प्रमाणपत्र जमा करने वाले शिक्षकों पर नजर रखे हुए है और नियमों के तहत दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इस अभियान का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में ईमानदारी और पारदर्शिता बनाए रखना है, ताकि शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जा सके।
इस मामले ने न केवल शिक्षकों के बीच डर और असुरक्षा बढ़ाई है, बल्कि राज्य में शिक्षा विभाग की साख पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि जांच का दायरा और भी व्यापक हो सकता है और फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।