Bihar Teacher: शिक्षकों का अपमान अब पड़ेगा भारी, रिश्वतखोर अधिकारियों पर गिरेगी गाज, अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ के इस आदेश से हड़कंप

Bihar Teacher: बिहार के शिक्षा विभाग में अब शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार और अपमानजनक रवैया अधिकारियों के लिए मुसीबत बन सकता है।

Bihar Teacher
शिक्षकों का अपमान अब पड़ेगा भारी- फोटो : social Media

Bihar Teacher: बिहार के शिक्षा विभाग में अब शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार और अपमानजनक रवैया अधिकारियों के लिए मुसीबत बन सकता है। अपर मुख्य सचिव (एसीएस) डॉ. एस. सिद्धार्थ ने सभी जिला और क्षेत्रीय शिक्षा कार्यालयों को कड़ा निर्देश जारी करते हुए चेतावनी दी है कि अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी शिक्षकों के साथ अभद्र व्यवहार करता है या रिश्वत की मांग करता है, तो उसके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह कदम शिक्षकों के आत्मसम्मान को बहाल करने और शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।

मामले की शुरुआत तब हुई, जब बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की पहली शिक्षक नियुक्ति परीक्षा (टीआरई-1) से जुड़े एक शिक्षक ने शिक्षा विभाग को एक गुमनाम लेकिन भावनात्मक पत्र लिखा। इस पत्र ने न केवल शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए, बल्कि अधिकारियों की संवेदनहीनता को भी उजागर किया। शिक्षक ने पत्र में लिखा, "डॉ. सिद्धार्थ, आप हमें 'आप' कहकर सम्मान देते हैं, लेकिन जिला शिक्षा कार्यालयों में डीईओ, डीपीओ और उनके क्लर्क हमें 'तुम' कहकर बुलाते हैं और अपमानित करते हैं।" इस पत्र ने शिक्षा व्यवस्था की उन गहरी खामियों को सामने लाया, जो शिक्षकों के सम्मान और उनके कार्यों को प्रभावित कर रही हैं।

शिक्षक ने अपने पत्र में यह भी खुलासा किया कि वेतन, बकाया राशि, या सेवा से जुड़े मामलों को निपटाने के लिए शिक्षकों को जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) और जिला कार्यक्रम अधिकारियों (डीपीओ) के दफ्तरों के बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं। कई बार बिना रिश्वत दिए उनका काम नहीं होता, जो न केवल अपमानजनक है, बल्कि शिक्षकों के आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचाता है। इस पत्र ने शिक्षा विभाग के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार और लापरवाही की पोल खोल दी।

Nsmch

इस गुमनाम पत्र ने अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ को झकझोर दिया। उन्होंने 'शिक्षा की बात: हर शनिवार' कार्यक्रम में इस पत्र को स्वयं पढ़कर सुनाया और अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराया। उन्होंने कहा, "इस पत्र में उठाए गए मुद्दे पूरी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं। यह समय है कि हम शिक्षकों को उनका हक और सम्मान दें।" डॉ. सिद्धार्थ ने स्पष्ट किया कि शिक्षकों के साथ 'आप' कहकर संवाद करना केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि व्यवस्था की गरिमा और संस्कृति का हिस्सा है।

इसके साथ ही, डॉ. सिद्धार्थ ने अधिकारियों को आदेश दिया कि शिक्षकों को अनावश्यक रूप से दफ्तरों के चक्कर लगाने से बचाने के लिए डिजिटल और वैकल्पिक व्यवस्थाओं को लागू किया जाए। उन्होंने रिश्वतखोरी और अपमानजनक व्यवहार को बर्दाश्त न करने की चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी शिकायतें मिलने पर दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को कठोर दंड भुगतना होगा।

यह कदम बिहार के शिक्षा विभाग में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है, जहां शिक्षकों के सम्मान और कार्यकुशलता को प्राथमिकता दी जा रही है। इस घटना ने न केवल शिक्षकों के बीच उम्मीद जगाई है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग को भी तेज कर दिया है। अब देखना यह है कि क्या यह निर्देश जमीनी स्तर पर लागू हो पाएंगे और शिक्षकों को उनका वाजिब सम्मान मिल पाएगा।