Bihar Teacher News: बिहार में शिक्षकों की बल्ले-बल्ले, छुट्टियां झटपट, वेतन पक्का, DEO को भी लगी लताड़, बच्चों की पढ़ाई अब होगी मजेदार, एसीएस डॉ एस सिद्धार्थ का गजब का निर्णय
Bihar Teacher News: शिक्षकों छुट्टियों की मंजूरी में तेजी और वेतन की गारंटी सें का मनोबल बढ़ेगा।..

Bihar Teacher News: बिहार के शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के लिए ऐसा ऐलान कर दिया है कि अब स्कूलों में "खुशहाली का मौसम" छा गया है! अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस सिद्धार्थ ने साफ कर दिया है कि अब शिक्षकों को छुट्टियों के लिए भटकना नहीं पड़ेगा, और उनका वेतन भी समय पर खाते में आएगा। नई गाइडलाइन तैयार है, जो अगले हफ्ते तक लागू हो जाएगी।
शिक्षा विभाग के एसीएस डॉ एस सिद्धार्थ ने ऐलान कर दिया है कि इस साल से बिहार के स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई को और मजेदार बनाने के लिए नई योजनाएं शुरू हो रही हैं।शिक्षकों के लिए सबसे बड़ी खबर ये है कि अब छुट्टियों की मंजूरी में देरी नहीं होगी। शिक्षा विभाग के एसीएस डॉ सिद्धार्थ ने नई गाइडलाइन तैयार कर ली है, जो अगले हफ्ते तक जारी हो जाएगी। इसके तहत कैजुअल लीव की मंजूरी एक दिन के भीतर मिल जाएगी।अन्य छुट्टियों को जिला शिक्षा अधिकारी अधिकतम सात दिनों में मंजूर करेंगे। अगर सात दिन में फैसला नहीं हुआ, तो छुट्टी अपने आप मंजूर हो जाएगी। छुट्टी का आवेदन अब ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर ऑनलाइन करना होगा।इतना ही नहीं, DEO कार्यालय के कर्मचारियों को वेतन तभी मिलेगा, जब शिक्षकों का वेतन समय पर दे दिया जाएगा। शिक्षा विभाग ने शिक्षकों को भी दो-टूक कह दिया है कि "पोर्टल पर शिकायत करो, व्हाट्सएप पर नहीं!"
बिहार के सरकारी स्कूलों में अब पढ़ाई का अंदाज़ बदलने वाला है! छोटे बच्चों के लिए रंग-बिरंगे बेंच-डेस्क, स्मार्ट बोर्ड की चमक, और शिक्षकों के लिए छुट्टियों का झटपट मंजूरी वाला सिस्टम—ये सब अब हकीकत बनने जा रहा है। बिहार के सरकारी स्कूलों में अब छोटे बच्चों को बोरिंग, टूटी-फूटी बेंचों पर नहीं बैठना पड़ेगा। शिक्षा विभाग ने फैसला किया है कि कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के लिए रंग-बिरंगे, छोटे और आकर्षक बेंच-डेस्क दिए जाएंगे। ये डेस्क न सिर्फ देखने में सुंदर होंगे, बल्कि बच्चों के कद-काठी के हिसाब से भी बनाए जाएंगे। यानी अब बच्चे स्कूल को "मस्ती की पाठशाला" समझकर आएंगे। वहीं, कक्षा 6 से बच्चों को स्मार्ट बोर्ड पर पढ़ाई की सुविधा मिलेगी। ब्लैकबोर्ड और चॉक की धूल अब इतिहास बनने वाली है, क्योंकि स्मार्ट बोर्ड की चमक बच्चों को डिजिटल दुनिया की सैर कराएगी। लेकिन सवाल ये है कि क्या बिहार के स्कूलों में बिजली और इंटरनेट का इंतजाम भी उतना ही "स्मार्ट" होगा?
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने "शिक्षा की बात हर शनिवार" कार्यक्रम में शिक्षकों को साफ-साफ कह दिया कि अपनी समस्याएं व्यक्तिगत मोबाइल नंबर पर भेजना बंद करें। इसके बजाय ग्रिवांस पोर्टल का इस्तेमाल करें, जहां विभाग के सभी अधिकारी शिकायतों पर नजर रखेंगे। ये तो वही बात हुई कि "अब व्हाट्सएप पर ‘साहब, सुन लीजिए’ नहीं चलेगा, पोर्टल पर लिखित में ज्ञापन दो!"
डॉ. सिद्धार्थ ने ये भी कहा कि शिक्षकों को अपने काम को बोझ का बोझ नहीं समझना चाहिए, वरना वो "बर्नआउट" का शिकार हो जाएंगे। यानी, शिक्षक भाइयों, अब मुस्कुराते हुए पढ़ाओ, ताकि तनाव की छुट्टी हो जाए!
लड़कियों की पढ़ाई और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सरकार पहले से ही 300 रुपये सैनिटरी पैड के लिए दे रही है, और इस योजना को और मजबूत किया जाएगा। साथ ही, अब हर स्कूल का रेवेन्यू रिकॉर्ड तैयार होगा। स्कूल के पास कितनी जमीन है, कितना हिस्सा अतिक्रमण की भेंट चढ़ा है—इसका पूरा हिसाब-किताब रखा जाएगा। इसके लिए भू-संपदा और सहायक भू-संपदा पदाधिकारी नियुक्त किए जाएंगे।
ये नई गाइडलाइन शिक्षकों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं। छुट्टियों की मंजूरी में तेजी और वेतन की गारंटी से शिक्षकों का मनोबल बढ़ेगा। ऑनलाइन पोर्टल से पारदर्शिता आएगी, और DEO कार्यालयों की जवाबदेही भी तय होगी। बिहार के शिक्षा विभाग का ये कदम शिक्षकों के लिए राहत की सांस लेकर आया है। एक दिन में CL, सात दिन में दूसरी छुट्टियां, और वेतन की गारंटी—ये सब सुनने में तो शानदार है। लेकिन असली इम्तिहान तो तब होगा, जब ये नियम जमीनी हकीकत बनेंगे। फिलहाल, शिक्षक खुश हैं, DEO परेशान हैं, और बिहार के स्कूलों में नई उम्मीद की किरण दिख रही है।