Bihar Election 2025: अब महबूब की शायरी से गुलजार नहीं होगा बिहार विधानसभा, चुनाव परिणाम ने कई ठहाकों को बना दिया इतिहास
Bihar Election 2025: सदन को अपनी शायरी से गुलजार रखने वाले महबूब अब सदन में नहीं दिखेंगे...बलरामपुर सीट से चुनाव हारने के बाद अब महबूब आलम की शायरी सदन की कार्यवाही के दौरान सुनने को नहीं मिलेगी।
Bihar Election 2025: बिहार में वामपंथी पार्टी (सीपीआईएमएल एल) के चर्चित फेस और विधानसभा को ठहाकों से गूंजा देने वाले महबूब आलम अब सदन में नहीं दिखेंगे। महबूब आलम बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कटिहार के बलरामपुर सीट से लेफ्ट की टिकट से चुनावी मैदान में थे लेकिन महबूब आलम का भी विपक्ष के तमाम जीते हुए प्रत्याशी की तरह ही हाल हुआ। उन्हें भी करारी हार का सामना करना पड़ा। इस सीट से चिराग पासवान की पार्टी लोजपा(रा) की उम्मीदवार संगीता देवी ने 398 वोटों से जीत हासिल की। संगीता देवी को 80459 वोट मिले। दूसरे नंबर पर एआईएमआई के प्रत्याशी मोहम्मद आदिल हुसैन रहे। जिन्हें 80070 वोट मिले। आदिल को 389 वोटों से हार का सामना करना पड़ा। वहीं तीसरे नबंर पर महबूब आलम रहे जिन्हें 79141 वोट मिला।
सदन में खलेगी महबूब आलम की कमी
महबूब आलम 1318 वोट से हारे वहीं AIMIM के प्रत्याशी से उन्हें 929 वोट से हार का सामना करना पड़ा। महबूब आलम की हार कहीं ना कहीं सदन में उनकी कमी को महसूस कराएगी। सदन के कार्यवाही के दौरान सत्ता पक्ष पर हमला करते हुए या सवाल पूछते हुए महबूब अक्सर शायरी का सहारा लेते थे। महबूब आलम शायराना अंदाज में हमला बोलते थे। उनकी सदन में गैरमौजूदगी अब ठहाकों की आवाज सुनाई नहीं देगी। महबूब आलम की शायरी पर खुद विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव भी शायरी कहा करते थे। खास बात ये है कि इस बार ये दोनों ही सदन में मौजूद नहीं रहेंगे। विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव इस बार सदन में नहीं होंगे और ना ही महबूब आलम अब अगले 5 साल तक सदन में आ पाएंगे।
कौन हैं महबूब आलम
महबूब आलम की शिक्षा क्लास 12 तक ही हुई है और उनका परिवार कृषि का काम करता है। महबूब आलम की पहचान मजबूत राजनीतिक कर्म और लोक समर्थन से बनी है। आलम सालों से अपने क्षेत्र में काम करते रहे हैं। जमीन से जुड़े मुद्दों, किसानों और मजदूरों की समस्याओं को उठाते रहे हैं। इतने समय से विधायक रहने के बावजूद वो छोटे से ही घर में रहे। महबूब आलम ने पार्टी के भीतर ही काम किया है और पार्टी की विचारधारा से जुड़े रहे हैं। उनके चुनावी इतिहास की बात करें तो साल 2020 में उन्होंने बलरामपुर सीट पर 1,04,489 वोट हासिल किए और विरोधी को करीब 53,597 मतों से हराया था। यह मार्जिन पूरे चुनाव में सबसे ज्यादा रहा। बलरामपुर मुस्लिम बहुल सीट है और यहां 60 फीसदी से ज्यादा मतदाता मुसलमान हैं। वहीं इस बार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम प्रत्याशी के खड़े होने से मुस्लिम वोटों में बिखराव हुआ और महबूब आलम की हार हो गई।
महबूब आलम की सदन की शायरियां
सदन की कार्यवाही के दौरान महबूब आलम ने उर्दू में शायरी कहा था कि, उर्दू के शेरों को पढ़ कर के आप उर्दू पर करम भरमाते हैं तो प्रतीक चिन्ह में जो हमारा उर्दू था उसपर सितम क्यों ढाहते हैं...दरअसल, सदन में तब महबूब आलम उर्दू को लेकर अपनी बातों को रख रहे थे। सीएम नीतीश को लेकर भी महबूब आलम ने शायरी में हमला किया था। सदन के कार्यवाही के दौरान महबूब आलम ने कहा था कि, माना की जमाने में रंग बदलते हैं लोग मगर धीरे धीरे, एक तेरे घर बदलने की रफ्तार से गिरगिट भी परेशान है। यह बात सीएम नीतीश के पलटी मारने के बाद फ्लोर टेस्ट के दौरान उन्होंने कहा था। सदन में नंद किशोर यादव और महबूब आलम में भी शायरी में बातें होती थी। एक बार नंद किशोर यादव ने महबूब आलम को लेकर कहा था कि यदि आपके नाम के पीछे आ की मात्रा लाया दिया जाए तो आपको भी तीन तलाक मिल जाता आप इतनी लड़ाई करते हैं। जिससे सदन में जमकर ठहाके लग थे।