Bihar Records Highest Turnout:बिहार ने रचा नया सियासी इतिहास , 66.91 फीसदी वोटिंग के साथ टूटा 74 साल का रिकॉर्ड, महिलाओं ने फिर किया लोकतंत्र को सलाम! जानिए आज़ादी के बाद कब-कब कितना वोट पड़ा और क्यों ये रिकॉर्ड ख़ास है

Bihar Records Highest Turnout:बिहार की सरज़मीं ने एक बार फिर लोकतंत्र की ताक़त का ऐलान कर दिया है। विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण की वोटिंग पूरी होते ही एक नया कीर्तिमान दर्ज हुआ है।

Bihar Records Highest Turnout
ये रिकॉर्ड ख़ास है- फोटो : social Media

Bihar Records Highest Turnout:बिहार की सरज़मीं ने एक बार फिर लोकतंत्र की ताक़त का ऐलान कर दिया है। विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण की वोटिंग पूरी होते ही एक नया कीर्तिमान दर्ज हुआ है। इस बार बिहार ने अपने ही पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए कुल 66.91 फीसदी मतदान के साथ यह अब तक का सबसे ऊंचा वोटिंग प्रतिशत रहा। इससे पहले यह रिकॉर्ड साल 2000 के चुनाव में 62.57  फीसदी  वोटिंग का था। यानी, इस बार बिहार ने न सिर्फ़ बदलाव का संकेत दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि लोकतंत्र में उसकी आस्था पहले से कहीं अधिक मज़बूत हुई है।

छह नवंबर को पहले चरण की वोटिंग में 18 जिलों की 121 सीटों पर 65.08  फीसदी  मतदान हुआ था, जबकि दूसरे चरण में 20 जिलों की 122 सीटों पर 68.76  फीसदी  वोटिंग हुई। दोनों चरणों को मिलाकर कुल 7 करोड़ 45 लाख 26 हज़ार 858 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इनमें महिलाओं की भागीदारी ने चुनावी तस्वीर को और ऐतिहासिक बना दिया।


2025 के विधानसभा चुनाव में 71.6 फीसदी महिला मतदाता ने मतदान किया, जबकि पुरुष वोटिंग प्रतिशत 62.8 फीसदी रहा। यह आंकड़ा बताता है कि बिहार की आधी आबादी अब मतदान केंद्रों तक पहुंचने में पुरुषों से कहीं आगे निकल चुकी है।

पहले चरण में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 69.04  फीसदी  और दूसरे चरण में 74.03  फीसदी  रहा। यानी जहां पुरुषों में औसतन 63-64  फीसदी  वोटिंग हुई, वहीं महिलाओं ने लोकतंत्र के इस पर्व में रिकॉर्ड उपस्थिति दर्ज कराई।राजनीतिक पंडितों का मानना है कि महिलाओं की यह भागीदारी सिर्फ़ संख्या नहीं, बल्कि एक सियासी संदेश है कि अब बिहार में हर फैसला आधी आबादी की राय के बिना मुमकिन नहीं।

1951 में हुए पहले बिहार विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक के सभी चुनावों पर नज़र डालें, तो स्पष्ट होता है कि मतदाता जागरूकता में जबरदस्त उछाल आया है।

जहां 1951-52 में कुल वोटिंग प्रतिशत महज़ 42.6  फीसदी  था, वहीं 1967 में यह बढ़कर 51.51  फीसदी , 1980 में 57.28  फीसदी , 1990 में 62.04  फीसदी , और 2020 में 57.29  फीसदी  तक पहुंचा।

लेकिन 2025 का चुनाव सभी सीमाएं तोड़ते हुए सीधे 66.91  फीसदी  तक जा पहुंचा  जो बिहार की सियासत के लिए ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है।

यह आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि 2010 से महिला मतदाताओं की भागीदारी लगातार बढ़ती गई है। 2015 में 60.48  फीसदी , 2020 में 59.69  फीसदी  और अब 2025 में रिकॉर्ड 71.6 फीसदी  यानी बिहार की राजनीति में महिलाएं अब निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।

पहले चरण में कुल 1314 उम्मीदवार मैदान में थे, जबकि दूसरे चरण में 1302 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई। यानी कुल 2616 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला अब 14 नवंबर को ईवीएम के ज़रिए होगा।

पहले चरण में तेजस्वी यादव, सम्राट चौधरी, तेज प्रताप यादव, मैथिली ठाकुर और अनंत सिंह जैसे बड़े नाम मैदान में थे। वहीं दूसरे चरण में नज़रें गया टाउन, बेतिया, चैनपुर, चकाई, अमरपुर, छातापुर और जमुई जैसी अहम सीटों पर टिकी रहीं  जहां प्रेम कुमार, रेणु देवी, जमा खान, सुमित कुमार सिंह, जयंत राज, नीरज कुमार सिंह बबलू और श्रेयसी सिंह जैसे कद्दावर मंत्री चुनावी मैदान में थे।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक़, इस बार की वोटिंग में युवाओं और महिलाओं की भूमिका अहम रही है। पहली बार वोट डालने वाले मतदाता, सरकारी योजनाओं से प्रभावित ग्रामीण तबका, और महिलाओं का संगठित वोट बैंक  ये तीनों ही समूह निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।

इतिहास गवाह है कि बिहार में हर रिकॉर्ड मतदान के बाद सत्ता का समीकरण बदला है। 2015 में भी उच्च मतदान के बाद महागठबंधन को सत्ता मिली थी, जबकि 2020 में अपेक्षाकृत कम मतदान के बावजूद एनडीए ने बढ़त बनाई।इस बार रिकॉर्ड वोटिंग से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या बिहार की जनता बदलाव चाहती है या मौजूदा व्यवस्था को मज़बूती देना चाहती है।

फिलहाल नज़रें 14 नवंबर पर टिकी हैं  जब ईवीएम के पेट खुलेंगे और यह तय होगा कि इस रिकॉर्ड मतदान ने किसकी तक़दीर चमकाई और किसके सियासी सफर पर विराम लगाया।