Bihar Vidhansabha Chunav 2025: चंपारण की हवा बदली तो बदलेंगे समीकरण, टिकट कटे, दिल फटे, बागी सक्रिय,दूसरे चरण में चंपारण से निकलेगा बिहार की सत्ता का रास्ता
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: चंपारण,वही धरती जहाँ कभी बापू के कदम पड़े, और सत्याग्रह की चिंगारी ने अंग्रेज़ों की जड़ें हिला दीं, आज फिर बिहार चुनाव के केंद्र में है।
Bihar Vidhansabha Chunav 2025: चंपारण,वही धरती जहाँ कभी बापू के कदम पड़े, और सत्याग्रह की चिंगारी ने अंग्रेज़ों की जड़ें हिला दीं, आज फिर बिहार चुनाव के केंद्र में है। पिछले विधानसभा चुनाव में 21 में से 17 सीटें एनडीए की झोली में गई थीं। यानी चंपारण ने ही सत्ता का वजन तय किया था। लेकिन इस बार हवा बदली दिखाई दे रही है टिकट कटने का दर्द, स्थानीय नाराज़गी, और जन सुराज के प्रवेश ने कई सीटों पर मुकाबले को कड़ा और उलझा बना दिया है।
पश्चिमी चंपारण: वाल्मीकिनगर और रामनगर में सीधा संग्राम
वाल्मीकिनगर में जदयू ने फिर भरोसा जताया धीरेंद्र प्रताप सिंह पर; सामने कांग्रेस के सुरेंद्र कुशवाहा हैं।जनसुराज के उम्मीदवार का पर्चा रद्द होने से मुकाबला सीधा दो खेमों के बीच रह गया है।यहाँ थारू, कोइरी, यादव, सहनी—इनका वोट निर्णायक हैं ।गाँवों में चर्चा है कि थारू वोट जिस तरफ मुड़ेगा, वही जीत का रास्ता वहीं खोलेगा।
रामनगर (सुरक्षित सीट) पर टिकट कटने का फटकारा है।भाजपा ने भागीरथी देवी को हटाकर नंद किशोर राम को उतारा।राजद के सुबोध पासवान समर्थक सहानुभूति की हवा बना रहे हैं—काम करने का मौका नहीं मिला।टिकट कटने से नाराज़ भाजपा समर्थक भी भीतरघात कर सकते हैं।यहाँ भी थारू आबादी निर्णायक है और सीधी टक्कर तय मानी जा रही है।
पूर्वी चंपारण की 8 सीटें भाजपा के पास है, लेकिन इस बार हवा में हलचल है। यहाँ कई सीटों पर जनता गुस्से में, उम्मीदवार उलझन में, और जाति-समीकरण खुलकर खेल में हैं।
मोतिहारी में बहुचर्चित मुकाबला भाजपा के प्रमोद कुमार और राजद के देवा गुप्ता के बीच है। जनसुराज से डॉ. अतुल कुमार भी ताल ठोक रहे हैं। यहां वैश्य वोट महत्वपूर्ण है। तो महिलाएँ अपनी पसंद साफ बोल रही हैं।
नरकटिया से राजद के डॉ. शमीम अहमद हैं तो जदयू से विशाल साह हैं वहीं जनसुराज के लाल बाबू प्रसाद ताल ठोक रहे हैं।यहाँ लोग कह रहे हैं कि तवा पर रोटी पलटते रहना चाहिए।
अब बात गोविंदगंज की। यहां से लोजपा (रा) से राजू तिवारी तो कांग्रेस से शशिभूषण राय तो जनसुराज ने कृष्णा मिश्रा को मैदान में उतारा है। यहां भीतरघात की आशंका है तो मुख्य मुद्दा पेंशन, सुविधा और स्थानीय नाराज़गी भी है।
चिरैया विधानसभा सीट की बात करें तो यहां चार दिशा से दबाव है। भाजपा के लालबाबू गुप्ता,राजद के लक्ष्मीनारायण यादव, जनसुराज के संजय सिंह के बीच लड़ाई है तो राजद से बागी अच्छेलाल प्रसाद ने टेंशन बढ़ा दी है।
रक्सौल में भाजपा–कांग्रेस–जनसुराज त्रिकोणात्मक लड़ाई है । यहां महिला मतदाता निर्णायक भूमिका निभा सकती है। लोगों का कहना है कि इस बार वोट भ्रष्टाचार के खिलाफ होगा।
केसरिया से जदयू की शालिनी मिश्रा,वीआईपी के वरुण विजय, जनसुराज से नाज़ अहमद उर्फ पप्पू खान ताल ठोक रहे हैं। मतदाता मान रहे कि बड़े नेता असर डालेंगे, महिला वोट फैसला करेगा।
कल्याणपुर विधानसभा सीट पर राजद ने मनोज यादव को तो भाजपा ने सचिन्द्र प्रसाद सिंह को तो जनसुराज ने मंतोष सहनी को मैदान में उतारा है। यादव–मुस्लिम बहुल—पर मुकाबला जातीय नहीं , अगड़ा–पिछड़ा लाइन पर ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है। यहां मतदाता चुप है लेकिन सीधा मुकाबला माना जा रहा है।
मधुबन विधानसभा सीट पर भाजपा ने राणा रणधीर सिंह को तो राजद ने संध्या रानी को मैदान में उतारा है। तो जनसुराज ने विजय कुशवाहा को टिकट दिया है। यहाँ जातीय गोलबंदी साफ दिखाई देती है, पर विकास भी ज़ोरदार मुद्दा है।
अब बात सुगौली की तो यहां से वीआईपी का पर्चा रद्द हो गया है .लोजपा (रा) के बबलू गुप्ता, जनसुराज के अजय झा की लड़ाई तगड़ी है।मतदाता बोल रहे कि वोट विकास पर होगा लेकिन प्रशांत फैक्टर ज़िंदा है।
चंपारण में पिछले चुनाव में भारी समर्थन एनडीए को मिला था लेकिन इस बार टिकट कटने से असंतोष देखा जा रहा है। यहां बागियों की सक्रियता देखी जा रही है तो जनसुराज तीसरा बड़ा खिलाड़ी है। इस चुनाव में महिला मतदाताओं की भूमिका बढ़ी है और थारू और वैश्य वोट निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं। यहां कई सीटों पर सीधा नहीं, त्रिकोणात्मक मुकाबला देखने को मिल रहा है।
चंपारण की हवा किस ओर बहेगी, यह सिर्फ़ 21 सीटों का सवाल नहीं है, यह पटना की कुर्सी और सत्ता के समीकरण तय करेगी।अगर चंपारण हिल गया तो नीतियाँ बदलेंगी, वोट बदलेगा, और शायद सूबे की तस्वीर भी। अब मंगलवार को मतदाता आवीएम का बटन दबा कर भविष्य तय करेंगे, 14 नवंबर को तस्वीर सामने होगी