Bihar Vidhansabha chunav 2025: बिहार में सियासी जंग के बीच अवैध सौदों का तूफ़ान, चुनावी आचार संहिता के बावजूद 108 करोड़ की जब्ती ने मचाया बवाल
Bihar Vidhansabha chunav 2025: चुनाव प्रचार का आज आख़िरी दिन है, मगर पूरे राज्य में आचार संहिता लागू होने के बावजूद अवैध गतिविधियों पर लगाम लगती नहीं दिख रही
                            Bihar Vidhansabha chunav 2025: बिहार विधानसभा आम निर्वाचन 2025 की सरगर्मियाँ अपने चरम पर हैं। चुनाव प्रचार का आज आख़िरी दिन है, मगर पूरे राज्य में आचार संहिता लागू होने के बावजूद अवैध गतिविधियों पर लगाम लगती नहीं दिख रही। सत्ता की दौड़ में सियासी दल जहाँ वोटरों को लुभाने के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं, वहीं निर्वाचन आयोग की पैनी नज़र ने अब तक 100 करोड़ रुपए से ज़्यादा की अवैध संपत्ति जब्त कर ली है जो चुनावी माहौल में अनुशासन पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है।
निर्वाचन आयोग के अनुसार, अब तक बिहार में नगदी, शराब, ड्रग्स, कीमती धातुएँ और अन्य मुफ़्त उपहार (फ्रीबीज़) समेत कुल 108.19 करोड़ रुपए से अधिक की वस्तुएँ ज़ब्त की जा चुकी हैं। इनमें से 12.08 लाख रुपए नगद, 120.4 लाख रुपए की शराब, 89 लाख के ड्रग्स-मादक पदार्थ, और 13.1 लाख के फ्रीबीज़ शामिल हैं। कुल मिलाकर अब तक 234.3 लाख रुपए की अवैध संपत्ति जब्त की गई है जो चुनावी धनबल के अंधेरे को उजागर करती है।
निर्वाचन आयोग ने बताया कि ये कार्रवाई अलग-अलग प्रवर्तन एजेंसियों की संयुक्त मुहिम का नतीजा है। चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही राज्य सरकार और तमाम एजेंसियों को सख़्त निर्देश दिए गए थे कि आचार संहिता के पालन में किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
राज्य भर में 824 फ्लाइंग स्क्वॉड टीमें तैनात की गई हैं जो मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट से जुड़ी शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई कर रही हैं। आयोग ने दावा किया है कि किसी भी शिकायत पर 100 मिनट के भीतर एक्शन लिया जा रहा है ताकि लोकतंत्र की पवित्रता पर कोई दाग़ न लगे।
आयोग ने यह भी सुनिश्चित किया है कि नागरिकों को कार्रवाई के दौरान किसी तरह की असुविधा न हो। साथ ही, C-VIGIL मोबाइल ऐप और कॉल सेंटर नंबर 1950 के माध्यम से जनता और राजनीतिक दल आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतें दर्ज कर सकते हैं। यह व्यवस्था 24x7 मॉनिटरिंग सिस्टम के तहत सीधे ज़िला निर्वाचन पदाधिकारी और रिटर्निंग ऑफिसर तक पहुँचती है।
सियासत के इस मौसम में जब वादों की बाढ़ और नारों का शोर चरम पर है, तब आयोग की यह मुहिम एक सख़्त संदेश देती है चुनाव लोकतंत्र का पर्व है, न कि धंधा।
बिहार की जनता की निगाहें अब नतीजों से पहले इस बात पर टिकी हैं कि क्या कानून की यह सख़्ती वाक़ई सियासी मैदान को निष्पक्ष बना पाएगी या फिर धनबल और दारूबाज़ी फिर से लोकतंत्र की मर्यादा को लांघ जाएँगी।