Mahagathbandhan:बिहार के चुनावी रेस में महागठबंधन के साथी आमने-सामने, इन सीटों पर होगा फ्रेंडली फाइट, गठबंधन में घुसा अविश्वास का वायरस!

Mahagathbandhan:कभी एकजुट होकर एनडीए को टक्कर देने की बात करने वाला गठबंधन अब अपनी ही सीटों पर बिखरता नज़र आ रहा है।...

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महागठबंधन में घुसा अविश्वास का वायरस!- फोटो : social Media

Mahagathbandhan: बिहार की सियासत में चुनावी माहौल गरम है और महागठबंधन के अंदरुनी मतभेद अब परदे से बाहर आ चुके हैं। कभी एकजुट होकर एनडीए को टक्कर देने की बात करने वाला गठबंधन अब अपनी ही सीटों पर बिखरता नज़र आ रहा है। राजद, कांग्रेस, माले और वीआईपी के बीच सीट बंटवारे को लेकर उठे मतभेद अब "फ्रेंडली फाइट" का रूप ले चुके हैं  जहां दोस्ताना मुकाबले के नाम पर असल में राजनीतिक प्रतिष्ठा की जंग छिड़ी हुई है।

महागठबंधन में इस बार सबसे बड़ी हिस्सेदारी राजद ने ली है, जिसने 143 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। कांग्रेस ने 62 सीटों, माले ने 20 और वीआईपी ने 14 सीटों पर ताल ठोकी है। लेकिन कई विधानसभा क्षेत्रों में साथी दल आमने-सामने हैं, जिससे गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

इन आठ सीटों पर ‘दोस्ती’ में दरार:

बछवाड़ा में सीपीआई के अवधेश राय और कांग्रेस के गरीब दास,

चैनपुर में वीआईपी के गोविंद बिंद और राजद के बृज किशोर बिंद,

नरकटियागंज में राजद के दीपक यादव बनाम कांग्रेस के शाश्वत केदार पांडेय,

लालगंज में राजद की शिवानी शुक्ला और कांग्रेस के आदित्य कुमार राजा,

वैशाली में राजद के अजय कुशवाहा और कांग्रेस के ई. संजीव सिंह,

सुल्तानगंज में राजद के चंदन सिन्हा बनाम कांग्रेस के ललन यादव,

कहलगांव में राजद के रजनीश भारती और कांग्रेस के प्रवीण सिंह कुशवाहा,

वहीं सिकंदरा में राजद के उदय नारायण चौधरी का सामना कांग्रेस के विनोद चौधरी से है।

राजद ने हालांकि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार राम के ख़िलाफ़ प्रत्याशी नहीं उतारा  मानो रिश्तों में बची कुछ राजनीतिक तहज़ीब का लिहाज़ रख लिया हो। लेकिन बाकी सीटों पर मुकाबला किसी जंग से कम नहीं।

तारापुर में वीआईपी और राजद की तकरार के बीच बीजेपी ने अपने नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को मैदान में उतारकर समीकरण और पेचीदा बना दिए हैं। वहीं, वीआईपी प्रत्याशी सकलदेव बिंद के नामांकन वापसी और बीजेपी में शामिल होने से गठबंधन की सियासी बुनियाद और कमजोर पड़ती दिख रही है।

निर्वाचन आयोग के मुताबिक़ पहले चरण में 121 सीटों पर 1,314 उम्मीदवार मैदान में हैं। नामांकन जांच के बाद 300 से ज़्यादा पर्चे खारिज हुए और 61 प्रत्याशियों ने नाम वापस लिया।बिहार की सियासत में अब असली लड़ाई सिर्फ़ विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच नहीं, बल्कि साथियों के बीच भरोसे की डोर बचाने की भी है।