सीमांचल और शाहाबाद-मगध में किसकी मजबूत पकड़, एनडीए की अग्निपरीक्षा तो तेजस्वी के भी उड़े होश, 122 सीटों का जानिए गणित

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 122 सीटों पर मतदान होना है लेकिन इन सीटों ने एनडीए और तेजस्वी यादव दोनों के चिंता बढ़ा दी है.

Seemanchal and Shahabad-Magadh
Seemanchal and Shahabad-Magadh- फोटो : news4nation

 Bihar Election : बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार सीमांचल और शाहाबाद-मगध क्षेत्र की सीटों पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होता दिख रहा है। राजनीतिक समीकरणों और सामाजिक गठजोड़ों के हिसाब से इन दोनों क्षेत्रों में एनडीए की स्थिति कमजोर मानी जा रही है, जबकि महागठबंधन और एआईएमआईएम (AIMIM) अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज भी इस बार इन इलाकों में नया खेल करने का दावा कर रही है।


सीमांचल क्षेत्र की बात करें तो इसमें कुल 24 विधानसभा सीटें शामिल हैं—जिनमें कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया जैसे जिले आते हैं। यह इलाका मुस्लिम बहुल है और परंपरागत रूप से राजद और कांग्रेस के समर्थन आधार वाला रहा है। 2020 के चुनाव में इन 24 सीटों में से महागठबंधन को 12, एआईएमआईएम को 5, जबकि एनडीए को मात्र 6 सीटें मिली थीं। एआईएमआईएम ने अररिया और किशनगंज में मुस्लिम-युवाओं के बीच मजबूत पैठ बनाई थी। इस बार ओवैसी की पार्टी सीमांचल में और आक्रामक रणनीति के साथ उतर रही है, जबकि राजद इन सीटों पर एआईएमआईएम की बढ़ती मौजूदगी से चिंतित है।


2020 के चुनाव में महागठबंधन ने जिन 110 सीटों पर जीत दर्ज की थी, उनमें से 46 मगध और शाहाबाद की थीं। एनडीए के खाते में 23 सीटें गई थीं। औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, आरा, बक्सर, सासाराम गया जैसे जिले इस क्षेत्र में शामिल हैं। यह क्षेत्र यादव, कुर्मी, राजपूत और दलित वोटों के संतुलन वाला इलाका है। वहीं जहानाबाद-अरवल जिले में कुछ सीटों  पर भूमिहार प्रभावी हैं। एनडीए के लिए यह क्षेत्र इस बार बड़ी चुनौती वाला इलाका है। दूसरे चरण में जिन 122 सीटों पर विधानसभा चुनाव हो रहा है उसमें सीमांचल और  शाहाबाद-मगध क्षेत्र की सीटों पर एनडीए की मजबूत बढत होने पर ही सरकार बनाने का रास्ता साफ हो सकता है। 

 

मगध और शाहाबाद में महागठबंधन को उम्मीद 

मगध और शाहाबाद में महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में रोजगार और स्थानीय विकास के मुद्दे पर चुनावी माहौल बना रहा है। वहीं सीमांचल में एआईएमआईएम के साथ-साथ राजद-कांग्रेस और वाम दलों का गठजोड़ मुस्लिम और दलित-ओबीसी वोटों को जोड़ने की कोशिश कर रहा है। कुल मिलाकर सीमांचल में धार्मिक ध्रुवीकरण और शाहाबाद-मगध में जातीय समीकरण एनडीए के लिए चुनौती बन गए हैं। अगर विपक्षी एकजुटता बनी रही, तो इन दोनों क्षेत्रों में एनडीए को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।


लोकसभा चुनाव में भी महागठबंधन रहा हावी

शाहाबाद इलाके के चार लोकसभा क्षेत्रों में कुल 25 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2020 में इनमें से 20 पर महागठबंधन और पांच पर एनडीए का कब्जा रहा था। इसी तरह मगध क्षेत्र के सात लोकसभा क्षेत्र में कुल 42 विधानसभा सीटें हैं। इसके अलावा मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के दो विधानसभा क्षेत्र बाढ़ और मोकामा भी पटना जिले हैं।


ओवैसी ने बढाई तेजस्वी की मुश्किल 

हैदराबाद से लोकसभा सांसद ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को वर्ष 2020 में सीमांचल में  5 विधानसभा की सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि उनके 4 विधायक बाद में राजद में चले गए। बावजूद इसके ओवैसी ने अपनी पार्टी को सीमांचल में मजबूत करने के लिए पिछले कुछ वर्षों में लगातार मेहनत की और अब मुस्लिमो के बीच उनकी लगातार चर्चा ने तेजस्वी यादव की टेंशन भी बढ़ा दी है।