Bihar vidhansabha chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव होने में अब कुछ ही महीने बचे हैं। ऐसे में सभी पार्टी ने विधानसभा चुनाव को लेकर कमर कस ली है। बिहार चुनाव में बीजेपी को जीत का ताज पहनाने के लिए आरएसएस(राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के द्वारा अहम रणनीति तैयार की जा रही है। इस रणनीति का नाम 'मिशन त्रिशूल' रखा गया है। इसके तहत आरएसएस कई बिंदुओं पर ध्यान रखकर चुनाव की तैयारी करेगा। आइए जानते हैं विस्तार से
RSS का मिशन बिहार
दरअसल, आरएसएस हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में चुनावी सफलता के बाद अब बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गया है। आरएसएस बिहार में मिशन त्रिशूल के तहत तीन अहम मुद्दों पर फोकस करेगा। जिसका पहला बिंदु होगा नाराज वोटरों की पहचान करना, दूसरा प्रभावी चुनावी मुद्दों का आकलन और तीसरा और अहम बीजेपी के लिए फायदेमंद और नुकसानदेह मुद्दों का विश्लेषण करना। आरएसएस इन मुद्दों पर काम करेगा।
चुनाव से आठ महीने पहले ही सक्रिय हुआ RSS
बता दें कि, बिहार में विधानसभा चुनाव होने में फिलहाल आठ महीने बचे हैं लेकिन RSS ने अभी से अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। 'मिशन त्रिशूल' के तहत संघ के स्वयंसेवकों को मैदान में उतारा गया है, जिनका काम है वोटरों की नाराजगी और अहम मुद्दों का सर्वेक्षण, यह समझना कि कौन-सा मुद्दा सबसे प्रभावी रहेगा और बीजेपी के लिए कौन-सा मुद्दा फायदेमंद साबित होगा और कौन-सा नुकसानदेह। इन सभी बातों को ध्यान में रखकर आरएसएस रिपोर्ट तैयार करेगा। आरएसएस ये काम जमीनी तौर पर करेगा। ताकि समझा जा सके कि बिहार में बीजेपी जमीनी तौर पर कितनी मजबूत है।
मार्च तक तैयार होगी ग्राउंड रिपोर्ट
सूत्रों के अनुसार, बिहार में बीजेपी को सत्ता में लाने के लिए RSS विशेष रुप से तैयारी में लगा है। इसीलिए स्वयंसेवकों को विशेष टास्क भी सौंपे गए हैं। स्वयंसेवकों को RSS की शाखाओं का विस्तार और अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने का काम दिया गया है। स्थानीय स्तर पर लोगों से बातचीत कर उनकी राय और मुद्दों को समझने का आदेश दिया गया है। स्वयंवसेवकों को किसी भी कीमत पर मार्च तक ग्राउंड रिपोर्ट तैयार कर संघ की प्रांतीय बैठक में प्रस्तुत करना होगा।
RSS करा रहा गुप्त सर्वे
चुनावी रणनीति को और मजबूत करने के लिए RSS एक गुप्त सर्वे भी करा रहा है। इस सर्वे का उद्देश्य तीन अहम सवालों का जवाब ढूंढना है। पहला सवाल किन नेताओं के खिलाफ जनता में असंतोष है? दूसरा सवाल कौन-सा मुद्दा सबसे ज्यादा असरदार होगा? तो वहीं तीसरा और अहम सवाल कौन-सा मुद्दा बीजेपी के पक्ष में जाएगा और कौन-सा नुकसान पहुंचा सकता है? माना जा रहा है कि इस सर्वे के नतीजे RSS की चुनावी रणनीति को तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
बिहार में शाखाओं का विस्तार
चुनावी वर्ष को ध्यान में रखते हुए RSS ने बिहार में अपनी शाखाओं की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया है। वर्तमान में बिहार को दो भागों— उत्तर बिहार (मुख्यालय: मुजफ्फरपुर) और दक्षिण बिहार (मुख्यालय: पटना) में बांटा गया है। फिलहाल, राज्य में लगभग 1000 शाखाएं संचालित हो रही हैं, जिन्हें और बढ़ाने की योजना है।
दिल्ली में काम आई 'त्रिदेव' रणनीति
गौरतलब हो कि, दिल्ली विधानसभा चुनाव में RSS ने बूथ स्तर पर 'त्रिदेव' रणनीति अपनाई थी। इसमें एक पुरुष एक महिला और एक युवा शामिल किए गए थे। इनकी जिम्मेदारी थी क्षेत्र में लोगों से संवाद करना और उनकी समस्याएं समझना। प्रत्येक ‘त्रिदेव’ टीम के तहत कम से कम 10 कार्यकर्ता काम कर रहे थे। इसी तरह की रणनीति बिहार में भी अपनाने की संभावना है।