Bihar Vidhansabha Chunav 2025: छह जिले ऐसे जहां भाजपा ने नहीं उतारा कोई उम्मीदवार, 101 सीटों में चुनावी दांव, चंपारण और पटना में मजबूत पकड़

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार अपनी चुनावी रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।

Six districts without BJP candidates
छह जिले ऐसे जहां भाजपा ने नहीं उतारा कोई उम्मीदवार- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस बार अपनी चुनावी रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। कुल 243 सीटों में से भाजपा और उसके सहयोगी जदयू-भाजपा गठबंधन ने 101-101 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। हालांकि, मधेपुरा, खगड़िया, शेखपुरा, शिवहर, जहानाबाद और रोहतास में इस बार पार्टी का कोई उम्मीदवार नहीं है। इनमें तीन जिलों के चुनाव पहले चरण में और बाकी तीन दूसरे चरण में हैं।

कुछ जिलों में भाजपा ने केवल एक-एक सीट पर ही अपने उम्मीदवार उतारे हैं। ऐसे जिलों में सहरसा, लखीसराय, नालंदा, बक्सर और जमुई शामिल हैं। इसके विपरीत, कई जिलों की 70-80% सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी मैदान में हैं, जिससे इन क्षेत्रों में पार्टी की पकड़ मजबूती दिखा रही है।

विशेष रूप से, पश्चिम चंपारण भाजपा का सबसे अहम जिला माना जा रहा है। यहां 12 सीटों में 8 पर पार्टी का उम्मीदवार है  हरसिद्धि, पिपरा, कल्याणपुर, मोतिहारी, रक्सौल, मधुबन, चिरैया और ढाका। वहीं, पूर्वी चंपारण की 9 सीटों में 7 पर भाजपा का कब्ज़ा है। पटना जिले में कुल 14 सीटों में 7 पर भाजपा उम्मीदवार मैदान में हैं। दरभंगा, मुजफ्फरपुर, भोजपुर और मधुबनी में स्थिति 5-5 सीटों तक सीमित है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा ने इस रणनीति में केंद्रित क्षेत्रों और मजबूत गढ़ों पर ध्यान दिया है। पार्टी का उद्देश्य है कि NDA गठबंधन की स्थिति को मजबूत बनाए रखा जाए, जबकि कमजोर जिलों में सहयोगी दलों के माध्यम से वोट बैंक को सहेजा जाए।

इस बार की योजना में पिछले चुनाव 2020 की तुलना में केवल एक नया जिला रोहतास शामिल हुआ है। पिछली बार इस जिले की दो सीटें भाजपा ने लड़ी थीं  दिहरी और काराकाट  लेकिन दोनों पर हार का सामना करना पड़ा। इस बार रोहतास की सीटें सहयोगियों को दी गई हैं, ताकि गठबंधन का वोट बैंक सुरक्षित रहे।

विश्लेषकों के अनुसार, भाजपा ने संसाधनों का बुद्धिमानी से उपयोग किया है। कुछ जिलों में पूरी तरह अनुपस्थित रहकर और कुछ में केवल एक-एक सीट पर उम्मीदवार उतारकर चुनावी जोखिम कम किया गया है। वहीं, चंपारण, पटना और अन्य प्रमुख जिलों में मजबूत उम्मीदवार उतारकर पार्टी लाभदायक सीटें हासिल करने की रणनीति पर काम कर रही है।

इस रणनीति से साफ़ दिखाई देता है कि भाजपा ने केवल संख्या की दृष्टि से नहीं बल्कि गुणवत्ता और केंद्रित चुनावी प्रयास के आधार पर अपनी स्थिति मज़बूत करने की तैयारी की है। इससे गठबंधन में संतुलन बना रहेगा और प्रमुख जिलों में जीत की संभावनाओं को बढ़ाया जा सकेगा।