Holi Song2025: होली के त्योहार पर कई तरह के गीत सुनने को मिलते हैं, लेकिन पारंपरिक फाग गीतों की अपनी खास अहमियत होती है। फाग गीत होली का पर्याय माने जाते हैं और बिना इनके होली का उल्लास अधूरा सा लगता है। फाग गीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं हैं, बल्कि इनमें भारतीय संस्कृति, सामाजिक सौहार्द्र और परंपराओं की झलक देखने को मिलती है।
फाग गीतों का महत्व
होली खिलखिलाकर और खुलकर मनाने का पर्व है। फाग गीतों में वही उत्साह और उमंग देखने को मिलता है। ये गीत मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा, बुंदेलखंड और ब्रज क्षेत्र में खासतौर पर गाए जाते हैं। इन गीतों में राधा-कृष्ण की प्रेम लीलाएं, शिव-पार्वती की कथाएं और सामाजिक घटनाओं का चित्रण किया जाता है।
फाग गीतों में उल्लास, व्यंग्य और हास्य का अद्भुत मेल होता है, जिसे "जोगीरा सररर..." के साथ गाया जाता है। जोगीरा का यह अंदाज फाग गीतों की खास पहचान है।
फाग गीतों की क्षेत्रीय विविधता
होली का त्योहार अलग-अलग राज्यों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है और इसी तरह फाग गीत भी हर क्षेत्र में अपने अलग रंग बिखेरते हैं।
बुंदेलखंड फाग गीत: 'फाल्गुन के महीना रसीले घर नहीं आए छैला छबीले...'
वृंदावन के फाग गीत: 'आज बिरज में होली रे रसिया..'
मसान की होली: 'खेले मसाने में होरी, दिगंबर खेले मसाने में होरी..'
मिथिला फाग गीत: 'राम खेले होली..'
प्रसिद्ध फाग गीत
जोगीरा सररर...
काहे खातिर राजा रूसे काहे खातिर रानी।
काहे खातिर बकुला रूसे कइलें ढबरी पानी॥
जोगीरा सररर....
आज बिरज में होली रे रसिया...
उड़त गुलाल लाल भए बादर,
केसर रंग में बोरी रे रसिया।
बाजत ताल मृदंग झांझ ढप,
और मजीरन की जोरी के रसिया।
गौरी संग लिए शिवशंकर खेलें फाग...
केकर भीगे हो लाली चुनरिया?
केकर भीगे हो लाली चुनरिया?
केकरा भीगे ल सिर पाग?
गौरी संग लिए शिवशंकर खेलें फाग.
फाग गीत न केवल होली के रंग को और चटक बनाते हैं, बल्कि ये हमारी सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक हैं। आधुनिक संगीत के बढ़ते प्रभाव के बावजूद फाग गीतों का महत्व बरकरार है। इन पारंपरिक गीतों को संजोना और अगली पीढ़ी को सिखाना हमारी जिम्मेदारी है ताकि होली का यह रंगीला पर्व अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखे।