shahid kapoor childhood: शाहिद कपूर इस वक्त अपनी फिल्म 'देवा' के प्रमोशन के दौरान अपने बचपन और जीवन के संघर्षों पर खुलकर बात कर रहे हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने बचपन के उन कठिन दिनों का जिक्र किया, जब उनके माता-पिता अलग हो गए थे और कैसे पिता की कमी का उन पर गहरा असर पड़ा। उन्होंने बताया कि किस तरह स्कूल में उन्हें बुली किया गया और उन्हें यह महसूस कराया गया कि उनकी जिंदगी कठिन है। शाहिद की यह कहानी उन लाखों बच्चों के लिए प्रेरणा हो सकती है, जो इसी तरह के हालातों का सामना कर रहे हैं।
पिता की कमी और बचपन का खालीपन
शाहिद कपूर ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताया कि जब वह सिर्फ तीन साल के थे, तभी उनके माता-पिता, नीलिमा अजीम और पंकज कपूर, का तलाक हो गया था। इस तलाक के बाद शाहिद अपनी मां के साथ दिल्ली में रहे, जबकि उनके पिता मुंबई में रहते थे। शाहिद ने बताया कि उनके पिता साल में सिर्फ एक बार उनसे मिलने आते थे, जिससे उनकी जिंदगी में एक पुरुष की कमी महसूस होती थी। शाहिद ने कहा, "पैरेंट्स आपके दो पैरों की तरह होते हैं। उनमें से एक ना हो तो आप खुद को बैलेंस नहीं कर पाते। दोनों पैरेंट्स का अहम रोल होता है।"
बुली किए जाने का दर्द
शाहिद ने इंटरव्यू में यह भी साझा किया कि स्कूल के दिनों में उन्हें उनके माता-पिता की अलगाव की वजह से बुली किया गया। उन्होंने कहा, "स्कूल के बच्चे बहुत मतलबी होते हैं। जब आपके माता-पिता साथ नहीं होते, तो बच्चे आपको इसके बारे में बुरा महसूस करवाते हैं। यह सामान्य नहीं है।" उन्होंने बताया कि अन्य बच्चों के साथ उनके पिता होते थे, लेकिन जब वह खुद को अकेला महसूस करते थे, तो उन्हें लगता था कि उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई है।
नानाजी का महत्वपूर्ण योगदान
जहां शाहिद के पिता उनके साथ रोजाना नहीं होते थे, वहीं उनके नानाजी ने उनकी परवरिश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शाहिद ने कहा, "मेरे नानाजी ने मेरी जिंदगी में पिता की कमी को पूरा किया। उन्होंने बिना किसी शर्त के हमेशा मेरा साथ दिया। एक बच्चे के रूप में मेरी सबसे मजबूत यादें मेरे नानाजी के साथ हैं।" नानाजी के साथ बिताए गए समय ने शाहिद को उस खालीपन से उबरने में मदद की, जो उनके पिता की कमी की वजह से था।
खुद के पिता बनने के बाद शाहिद की समझ
अब जब शाहिद खुद एक पिता बन चुके हैं, वह बेहतर तरीके से समझते हैं कि एक बच्चे के लिए माता-पिता का साथ कितना अहम होता है। शाहिद की एक बेटी और एक बेटा है, और वह इस बात को महसूस करते हैं कि जब वह अपने बच्चों के आसपास नहीं होते, तो उन्हें कैसा महसूस होता होगा।
शाहिद कपूर का बचपन
शाहिद कपूर का बचपन आसान नहीं था। पिता की कमी और बुली किए जाने की वजह से उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। लेकिन नानाजी का साथ और उनकी मां का प्यार उनकी ताकत बना। आज वह खुद एक पिता हैं और अपने अनुभवों से सीखकर अपने बच्चों के लिए एक मजबूत आधार प्रदान कर रहे हैं। शाहिद की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि मुश्किलों के बावजूद हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए।