Bihar News : रिश्वतखोरी मामले में गया के तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) विकास कुमार जायसवाल को 3 अगस्त 2024 को बेऊर जेल भेजा गया था. वे 23 अगस्त तक जेल में रहे. जेल से निकलने के बाद आरोपी तत्कालीन एसडीओ ने 6 सितंबर को पूर्णिया समाहरणालय में योगदान दिया. जबकि पूर्णिया ने डीएम ने 20 सितंबर 2024 को सरकार को जानकारी दी कि विकास कुमार जायसवाल 3 अगस्त से लेकर 23 अगस्त तक जेल में रहे.
जेल गए..जेल से बाहर आए..फिर ज्वाइन किया, तब जाकर डीएम ने भेजी रिपोर्ट
पूर्णिया के वरीय उप समाहर्ता विकास कुमार जायसवाल के खिलाफ 2028 में निगरानी थाने में भ्रष्टाचार का केस हुआ था. कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद उन्होंने पटना की विशेष अदालत में 3 अगस्त 2024 को सरेंडर किया था, जहां उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. पूर्णिया के जिलाधिकारी ने सामान्य प्रशासन विभाग को इसकी जानकारी 20 सितंबर 2024 को दी. साथ ही यह भी उल्लेख किया कि विकास कुमार जायसवाल 3 - 23 अगस्त 2024 तक जेल में रहे.चूंकि सरकार को आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं थी, लिहाजा 14 अक्टूबर के संकल्प में इस बात का उल्लेख किया गया है कि विकास कुमार जायसवाल जेल हिरासत अवधि तक के लिए निलंबित समझ जाएंगे . गया के तत्कालीन एसडीओ विकास कुमार जायसवाल जमानत पर रिहा होने के बाद 6 सितंबर 2024 को पूर्णिया समाहरणालय में योगदान दिए. योगदान स्वीकृति के बाद इन्हें फिर से निलंबित किया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग के संकल्प में कहा गया है कि चूंकि मामला रिश्वत, भ्रष्टाचार से संबंधित है. ऐसे में इन्हें अगले आदेश तक फिर से निलंबित किया जाता है. निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय पटना प्रमंडल आयुक्त का कार्यालय होगा.
गया में 2018 में पदस्थापित एसडीएम हवालात पहुंचे
बता दें कि आरोपित अधिकारी विकास कुमार जायसवाल 2018 में गया के एसडीओ थे, इनके खिलाफ निगरानी कोर्ट से गैर जमानती वारंटी जारी था. पटना हाई कोर्ट से उनकी अग्रिम जमानत की याचिका दो बार खारिज हो चुकी थी.निगरानी के विशेष लोक अभियोजक विजय भानू ने जानकारी दी थी कि गया के तत्कालीन एसडीओ विकास कुमार जायसवाल के चपरासी राजकुमार को ₹20000 लेते हुए निगरानी ने पकड़ा था. निगरानी ने इनके खिलाफ 18 अप्रैल 2018 को केस संख्या- 17 दर्ज किया था. विजिलेंस ने इस मामले में 20 मई 2018 को ही चार्जशीट दाखिल कर दिया था. बताया जाता है कि शिकायतकर्ता उनके कार्यालय में काम करने गया तो रिश्वत की मांग की गई. उसने इसकी शिकायत निगरानी से की. ब्यूरो ने इस मामले की जांच की और सही पाया. विजिलेंस ने जब रेड किया तो एसडीओ के चपरासी राजकुमार ₹20000 रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार हुआ. पूछताछ में उसने बताया कि वह एसडीओ विकास कुमार जायसवाल के लिए रिश्वत की रकम ले रहे थे. इसके बाद एसडीओ विकास कुमार जायसवाल को भी आरोपी बनाया गया. निगरानी ब्यूरो ने विशेष अदालत में चार्ज सीट दाखिल की थी. इसके बाद उनके खिलाफ गैर जमानतीय वारंट जारी किया गया.आरोपी अधिकारी ने पटना हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की. उच्च न्यायालय से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली. इसके बाद उन्हें निगरानी अदालत में सरेंडर करना पड़ा.