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Mahavir Mandir : क्या आप जानते हैं महावीर मंदिर के नैवेद्यम में किस दूध का उपयोग होगा है, प्रसाद कैसे बनता है?

Mahavir Mandir : क्या आप जानते हैं महावीर मंदिर के नैवेद्यम में किस दूध का उपयोग होगा है, प्रसाद कैसे बनता है?

पटना के प्रसिद्ध महावीर मन्दिर का मुख्य प्रसाद नैवेद्यम बनाने के लिए गाय का दूध सबसे उत्तम और नैसर्गिक माना जाता है। मंदिर में गाय के दूध से बने घी का उपयोग किया जाता है, जो कि स्वाद, शुद्धता और गुणवत्ता के लिए प्रामाणिक है। महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि इस निर्णय के पीछे कई खास वजहें हैं।

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन, जो कि एक सार्वजनिक या सहकारी क्षेत्र की मान्य डेयरी है, सिर्फ गाय का दूध ही लेती है। यह देश की एकमात्र ऐसी डेयरी है जो किसी अन्य प्रकार के दूध को स्वीकार नहीं करती। कर्नाटक मिल्क फेडरेशन लिमिटेड यहां सिर्फ गाय के दूध से बने दही, घी आदि की बिक्री करता है, जिससे यहां किसी भी प्रकार की दूध की मिलावट की संभावना खत्म हो जाती है।

इसके विपरीत, बिहार की सुधा डेयरी समेत अन्य डेयरी में गाय और भैंस दोनों का दूध लिया जाता है। सुधा डेयरी में मिक्स दूध का ही घी तैयार किया जाता है, जिससे केवल गाय के दूध से बने घी की उपलब्धता नहीं हो पाती। यह बात महावीर मन्दिर में नैवेद्यम की गुणवत्ता को और भी महत्वपूर्ण बनाती है।

आचार्य किशोर कुणाल ने यह भी बताया कि कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से आने वाले गाय के घी की कीमत 590 रुपये प्रति किलो है। यह दर सुधा के मिक्स दूध से बने घी की कीमत से भी कम है। इस प्रकार, महावीर मन्दिर में प्रत्येक महीने 15 हजार किलो घी की खरीद की जा रही है, जो कि श्रद्धालुओं को नैवेद्यम में सर्वोत्तम अनुभव प्रदान करता है।

इस पहल से यह साबित होता है कि महावीर मन्दिर अपनी श्रद्धालुओं को शुद्धता और गुणवत्ता का सर्वोत्तम अनुभव देने के लिए प्रतिबद्ध है। मंदिर प्रशासन ने इस निर्णय से यह सुनिश्चित किया है कि श्रद्धालुओं को जो प्रसाद मिले, वह पूरी तरह से शुद्ध और नैतिक हो। इससे न केवल श्रद्धालुओं की आस्था बढ़ती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि वे एक उत्कृष्ट अनुभव प्राप्त करें।

इस प्रकार, महावीर मन्दिर में गाय का दूध और उससे बने प्रसाद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम श्रद्धालुओं के विश्वास को और मजबूत करते हैं। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह शुद्धता और गुणवत्ता के प्रति मंदिर की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है

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