GAYA : पितृपक्ष के 14 वें दिन विष्णुपद मन्दिर परिसर और देवघाट पर शाम को बड़े ही उल्लास के साथ पितरों के निमित पितृ दिवाली मनाई गई। इस दौरान बड़ी संख्या में पिंडदानियों ने अपने अपने पितरों के नाम सैंकड़ों दीप जलाए। दीप मिट्टी के दिए में घी से जलाए गए। यही नहीं उन दीपों को बड़े ही ही सलीके से तीर्थयात्रियों ने सजाया भी। अबीर गुलाल चन्दन की रंगोली भी बनाई। दीप जलाए जाने के बाद ढोल के थाप पर महिलाएं थिरकीं भी। भजन गाए और खुशी मनाई। बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों ने फल्गु नदी में दीप भी प्रवाहित किए। शाम के वक्त भी दीप दिवाली मनाए जाने के बाद श्रद्धालुओं भगवान विष्णु के चरण का दर्शन भी किये। इस दौरान मन्दिर परिसर में तीर्थयात्रियों की कतार लगी रही।
वही गजाधर पंडा का कहना है कि शास्त्रों में पितरों के निमित दीप दान का विधान है। गया जी धाम में भगवान विष्णु स्वयं पितृ देव के रूप में विराजमान रहते हैं, इसलिए गया जी को पितरों का तीर्थ भी कहा जाता है। इस आस्था के प्रति लोगों का यह मानना है कि आज के दिन दीपदान करने से पितरों के लिए स्वर्ग का मार्ग प्रकाशमय होता है। दीप जलाकर पितरों को प्रसन्न किया जाता है। पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
इस दौरान देश के अलग-अलग राज्यों से आए महिला-पुरुष तीर्थयात्रियों ने अपने अपने पुरखों की आत्मशांति की कामना करते हुए पितरों के लिए घी के दीये जलाए। पितृ दीपावली पर हजारों की संख्या में दीप जलने के बाद पूरा घाट जगमग हो उठा। देवघाट के कोने-कोने में दीप जल रहा है। काफी संख्या तीर्थयात्री पहुंचे हैं।
पितृपक्ष मेले की शुरुआत 17 सितंबर को हुई थी और 2 अक्टूबर को इसका समापन होगा।
रिपोर्ट मनोज कुमार