ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग ने 25 से 29 सितंबर 2024 तक ग्रेटर नोएडा स्थित इंडिया एक्सपो सेंटर मार्ट में आयोजित यूपी अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में अपनी प्रमुख पहलों और उपलब्धियों का भव्य प्रदर्शन किया। उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय के नेतृत्व में विभाग ने इस अवसर पर शिक्षा के क्षेत्र में की गईं अपनी महत्वपूर्ण प्रगति और नीतियों को प्रदर्शित किया।
प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा, एम.पी. अग्रवाल ने मेले में विभाग के स्टॉल का निरीक्षण किया और सुधार के लिए कुछ अहम सुझाव भी दिए। यह स्टॉल मेले में विशेष आकर्षण का केंद्र रहा, जहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के क्रियान्वयन, शिक्षा में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के उपयोग, क्षेत्रीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार और भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को उच्च शिक्षा में एकीकृत करने जैसी पहलों को प्रमुखता से प्रस्तुत किया गया।
प्रदेश में उच्च शिक्षा प्रोत्साहन नीति का उद्देश्य निजी और विदेशी विश्वविद्यालयों को प्रदेश में निवेश के लिए आकर्षित करना है। इस नीति के तहत स्टाम्प शुल्क में छूट, पूंजी सब्सिडी और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए वित्तीय सुविधाएं दी जाएंगी। इसके साथ ही प्रदेश में सभी पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू की जा चुकी है, जिसमें चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम, बहुविषयकता और निरंतर आंतरिक मूल्यांकन जैसे प्रावधान शामिल हैं। जो पाठ्यक्रम नियामक निकायों के अधीन आते हैं, उन्हें छोड़कर सभी में यह नीति प्रभावी हो चुकी है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने शिक्षा को डिजिटल और तकनीकी रूप से सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। छात्रों को टैबलेट और मोबाइल उपकरण वितरित किए गए हैं, और प्रयागराज में ऑनलाइन शिक्षा के लिए ई-स्टूडियो की स्थापना की गई है। इसके अतिरिक्त, 41 लाख से अधिक छात्र अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स में पंजीकृत हो चुके हैं, और राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में 'समर्थ-ईआरपी' प्रणाली लागू की जा चुकी है। इसके साथ ही, उच्च शिक्षा संस्थानों में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए केंद्र स्थापित किए गए हैं और स्थानीय भाषाओं में ई-सामग्री तैयार की जा रही है ताकि शिक्षा को अधिक सुलभ बनाया जा सके।
भारतीय संस्कृति और परंपराओं को छात्रों से जोड़ने के उद्देश्य से प्रत्येक विषय की पहली इकाई में भारतीय ज्ञान प्रणाली को शामिल किया गया है, जिससे विद्यार्थियों को भारत की प्राचीन कला, संस्कृति और विज्ञान से परिचित कराया जा सके। इसके अतिरिक्त, मेले के दौरान कई निवेशकों ने उत्तर प्रदेश में विश्वविद्यालय और कॉलेजों की स्थापना के प्रति रुचि दिखाई, जो प्रदेश को एक शैक्षिक हब के रूप में उभरते हुए देख रहे हैं।