मध्याह्न भोजन योजना पर संकट के बादल: 4 महीने से बजट ठप, 2.32 लाख बच्चों का निवाला खतरे में, दुकानदारों ने की किया उधार बंद

पलामू के 2299 स्कूलों में MDM संकट में। 4 माह से बजट ठप, 2.32 लाख बच्चों के निवाले पर आफत। उधार के भरोसे चल रही योजना, प्रधानाध्यापक दबाव में।

मध्याह्न भोजन योजना पर संकट के बादल: 4 महीने से बजट ठप, 2.32

Palamu : झारखंड के पलामू जिले के सरकारी स्कूलों में संचालित Mid-Day Meal (MDM) योजना इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। पिछले चार महीनों से विभाग द्वारा Budget Allocation (राशि का आवंटन) नहीं किए जाने के कारण जिले के 2299 सरकारी विद्यालयों में बच्चों को भोजन खिलाना दूभर हो गया है। स्थिति यह है कि दुकानदार अब उधार राशन देने से मना कर रहे हैं, जिससे करीब 2.32 लाख बच्चों के सामने भूखे रहने की नौबत आ गई है।

उधार के बोझ तले दबे स्कूल और दुकानदार

जिले के स्कूलों में जुलाई 2025 के बाद से एक रुपया भी नहीं मिला है। स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि वे एक-दो महीने तक सहयोग कर सकते थे, लेकिन चार महीने का बकाया लाखों में पहुँच गया है। इससे उनका Business Turnover प्रभावित हो रहा है। दूसरी ओर, Headmasters (प्रधानाध्यापक) अपनी जेब से पैसे लगाकर या स्थानीय स्तर पर हाथ-पैर जोड़कर योजना को जीवित रखने का प्रयास कर रहे हैं। कई इलाकों में दुकानदारों ने हाथ खड़े कर दिए हैं, जिससे Supply Chain पूरी तरह चरमरा गई है।

प्रशासन का सख्त निर्देश और प्रधानाध्यापकों का तनाव

एक तरफ फंड की भारी कमी है, तो दूसरी तरफ District School Education Department का सख्त रुख बरकरार है। जिला शिक्षा अधीक्षक कार्यालय ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि किसी भी परिस्थिति में भोजन बंद नहीं होना चाहिए। आदेश में चेतावनी दी गई है कि यदि MDM बंद हुआ, तो संबंधित स्कूल प्रबंधन के खिलाफ Disciplinary Action (अनुशासनात्मक कार्रवाई) की जाएगी। इस दोहरे दबाव के कारण शिक्षक और प्रधानाध्यापक मानसिक तनाव में हैं।

पलामू में MDM का सांख्यिकीय ढांचा

जिले में मिड-डे मील का लाभ उठाने वाले बच्चों का आंकड़ा काफी बड़ा है, जिसमें प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1-5): कुल 1203 स्कूल, जहाँ औसत उपस्थिति 1,52,635 छात्र है। वहीं उच्च प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 6-8): कुल 1296 स्कूल, जहाँ औसत उपस्थिति 80,140 छात्र हैं। इस तरह जिले में प्रतिदिन लगभग 2,32,774 बच्चे स्कूल में भोजन करते हैं।

इन बच्चों को सप्ताह में दो दिन अंडा/फल और एक दिन रागी का लड्डू दिया जाता है, लेकिन वर्तमान Financial Crisis के कारण इन पौष्टिक आहारों की उपलब्धता पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है।

कुकिंग कॉस्ट और वर्तमान चुनौतियां

सरकार द्वारा निर्धारित Cooking Cost पहले से ही काफी सीमित है। कक्षा 1 से 5 के लिए ₹6.78 और कक्षा 6 से 8 के लिए ₹10.15 प्रति बच्चा आवंटित है। इसी राशि में दाल, सब्जी, तेल, मसाला और Fuel/LPG का खर्च वहन करना होता है। चावल सरकार उपलब्ध कराती है, लेकिन शेष सामग्रियों के लिए नकद राशि न मिलने से गरीब और वंचित वर्ग के उन बच्चों पर सबसे बुरा असर पड़ रहा है, जिनके लिए स्कूल का खाना ही दिन का मुख्य आहार है।

विभागीय आश्वासन

इस गंभीर मामले पर पलामू के जिला शिक्षा अधीक्षक, संदीप कुमार ने कहा है कि विभाग से राशि की मांग की गई है। उन्होंने भरोसा दिलाया है कि Allocation प्राप्त होते ही सभी विद्यालयों को तत्काल राशि भेज दी जाएगी। हालांकि, जब तक फंड नहीं आता, तब तक स्कूलों को अपने स्तर पर व्यवस्था बनाए रखने को कहा गया है।