RANCHI : झारखंड सरकार द्वारा कोयला रॉयल्टी के नाम पर 1.36 लाख करोड़ के भुगतान का मामला अभी खत्म भी नहीं हुआ है और झारखंड की हेमंत सरकार ने केंद्र सरकार से नल-जल योजना के अंतर्गत 6500 करोड़ रुपये के बकाये के भुगतान की मांग कर दी है।
झारखंड के पेयजल और स्वच्छता मंत्री योगेन्द्र प्रसाद ने दुमका परिसदन में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने नल जल योजना के तहत झारखंड सरकार को 22 हजार करोड़ रुपये देने का प्रावधान किया है। इस प्रस्तावित राशि में केंद्र और राज्य सरकार दोनों को पचास-पचास प्रतिशत राशि आवंटित करने का प्रावधान है।
पेयजल मंत्री योगेन्द्र प्रसाद ने कहा कि इस योजना को 2024 के अंत तक ही पूरा किया जाना था। लेकिन की सरकार ने इसे बढ़ाकर 2028 तक कर दी और अभी तक पूरे पैसे का भी भुगतान नहीं किया गया है। जिसके कारण इस योजना का संचालन सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। अगर केंद्र की सरकार बकाया 6500 करोड़ रुपये का भुगतान जल्द से जल्द कर दे तो इस योजना में तेजी आ सकती है।
पेयजल मंत्री योगेन्द्र प्रसाद ने केंद्र की सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के द्वारा भी केंद्र की सरकार को पत्र लिखा जा चुका है। लेकिन केंद्र के द्वारा अभी तक इस विषय पर जबाव नहीं दिया गया है। पैसे के अभाव में नल-जल योजना को धरातल पर उतारने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इसी क्रम में मंत्री ने यह भी बताया कि राज्य की सरकार राजस्व को लेकर चिंतित है और इसे बढ़ाने को लेकर कई अहम कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि शराब के दवारा राजस्व जुटाने के लिए प्रयास किए जा रहे है। सरकार इसके लिए एसओपी तैयार कर रही है ताकि आदिवासियों और मूलवासियों के लिए रोजगार का सृजन हो सके। सरकार ने 3500 से 4000 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा है।
अभिषेक- सुमन की रिपोर्ट