RANCHI : रांची के एमएसएमई विभाग के कई अधिकारियों के खिलाफ ईडी को आय से अधिक संपत्ति दर्ज करने के मामले में साक्ष्य मिले हैं। इस मामले में ईडी ने सीबीआई की रांची के केस आरसी 17/16 के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।
सरकारी पद पर रहते हुए की अवैध निकासी
ईडी ने अपने अनुसंधान में इस मामले में एमएसएमई टूल रुम जमशेदपुर के डीजीएम आशुतोष कुमार, चयनिका कुमारी और केशव वत्स को दोषी पाया है। ईडी ने अपने जांच में पाया कि सरकारी पद पर रहते हुए आशुतोष कुमार ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए अपनी ज्ञात आय के स्त्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित की थी। इस पैसों की मनी लॉन्ड्रिंग में उन्हें अपनी पत्नी चयनिका कुमार और बेटा केशव वत्स का साथ मिला।
आशुतोष ने किया आरोप का खंडन
इस बीच आशुतोष कुमार ने ईडी द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन करते हुआ कहा कि अवैध तरीके से कोई राशि अर्जित नहीं की है। उन्होंने कहा कि वह अपने पिता के डेयरी फार्म व कृषि से पैसे अर्जित किए है। आशुतोष ने कहा कि वह अपने पिता के द्वारा दी गई कृषि योग्य भूमि को बेचकर पैसे बैंक में डाले थे और जरुरत पड़ने पर वह इसे साबित भी कर सकते हैं। उसने यह भी दावा किया कि चयनिका और केशव के भी अलग-अलग आय के स्त्रोत रहे हैं और उस पर लगे सारे आरोप बेबुनियाद है।
करोड़ो रुपये की हेराफेरी का है आरोप
ईडी ने जांच में पाया कि आशुतोष ने अपनी आय के सभी स्त्रोतों से एक करोड़ चालीस लाख, सैतीस हजार, चार सौ चौदह रुपये अधिक की संपत्ति अर्जित की। वहीं सरकारी पद पर इंडो डेनिश टूल रुम का प्रयोग करते हुए 2 करोड़ 4 लाख 18 हजार 428 रुपये का प्रयोग किया। इस दौरान अवैध तरीके से की गई कमाई को वैध दिखाने के लिए विभागीय कागजों की भी हेर-फेर की गई।
कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश
ईडी ने कोर्ट में बताया कि आशुतोष की पत्नी भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में सहायक रही है। केशव वत्स ने भी आशुतोष के मददगार की भूमिका निभाई और इंडो डेनिश टूल रुम में पोस्टिंग के दौरान आशुतोष व उसके पारिवारिक सदस्यों ने आय से अधिक राशि को वैध साबित करने की कोशिश की।
अभिषेक-सुमन की रिपोर्ट