ब्रेस्ट कैंसर शरीर के साथ मेंटल हेल्थ को भी करता है कमजोर, जानें कैसे..

ब्रेस्ट कैंसर सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है और इससे उबरने में कैसे मदद मिल सकती है।

ब्रेस्ट कैंसर

ब्रेस्ट कैंसर, जो महिलाओं में सबसे आम कैंसर है, सिर्फ शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी व्यक्ति को प्रभावित करता है। इस बारे में अधिक जानने के लिए, हमने डॉ. मनदीप सिंह मल्होत्रा (सी.के. बिरला हॉस्पिटल, दिल्ली) से बातचीत की, जिन्होंने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर मानसिक स्वास्थ्य को किस तरह प्रभावित करता है और इससे उबरने में क्या मदद की जा सकती है।


ब्रेस्ट कैंसर का मानसिक प्रभाव

ब्रेस्ट कैंसर का निदान होते ही मरीज के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है। अक्सर मरीज पहले तो इस बीमारी को नकारते हैं, जिससे देर से इलाज शुरू होता है। मास्टेक्टॉमी (ब्रेस्ट को हटाने की सर्जरी) या ब्रेस्ट संरक्षित सर्जरी के डर से कई महिलाएं जांच कराने से कतराती हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो जाती है। मानसिक बोझ बढ़ने के साथ, यह उनके आत्मविश्वास और सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है।


सर्जरी के बाद का मानसिक संघर्ष

सर्जरी के बाद, चाहे वह मास्टेक्टॉमी हो या लम्पेक्टॉमी, शरीर की छवि में बदलाव आता है। इस बदलाव के कारण महिलाएं अक्सर खुद को कम आंकने लगती हैं, जिससे डिप्रेशन, उदासी और सामाजिक अलगाव की भावना पैदा हो सकती है। इन मानसिक चुनौतियों से जूझते हुए कई महिलाएं खुद को अकेला महसूस करती हैं और सामाजिक गतिविधियों से दूर हो जाती हैं।

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रिश्तों पर ब्रेस्ट कैंसर का असर

ब्रेस्ट कैंसर के मानसिक प्रभाव का एक बड़ा पहलू यह है कि यह रिश्तों को भी प्रभावित करता है, खासकर जीवनसाथी या पार्टनर के साथ। ब्रेस्ट के खोने से न केवल आत्मविश्वास घटता है, बल्कि इंटिमेसी पर भी असर पड़ता है, जिससे कई बार रिश्तों में तनाव आ सकता है। शोध बताते हैं कि इस दौरान शारीरिक और मानसिक तनाव के कारण कई रिश्ते टूटने तक की स्थिति में पहुंच सकते हैं।


सर्जरी और पुनर्निर्माण में प्रगति

हालांकि ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में चिकित्सकीय विज्ञान ने काफी प्रगति की है। अब रोबोटिक सर्जरी और ओंकोप्लास्टिक सर्जरी जैसी तकनीकों के जरिए कैंसर ग्रस्त ऊतक को हटाने के बाद ब्रेस्ट के प्राकृतिक आकार को बनाए रखा जा सकता है। इसके साथ ही, पुनर्निर्माण की नई तकनीकें भी मौजूद हैं जो महिला के आत्मविश्वास को बहाल करने में मदद करती हैं।


मानसिक सहायता की आवश्यकता

शारीरिक इलाज के साथ-साथ मानसिक सहायता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। काउंसलिंग, सपोर्ट ग्रुप और थेरेपी सेशन के माध्यम से मरीज इस कठिन दौर से गुजरने में सहारा पा सकते हैं। मरीजों को पुनर्निर्माण विकल्पों और उनके डर के बारे में जानकारी देना भी आवश्यक है ताकि वे सही निर्णय ले सकें।


निष्कर्ष

ब्रेस्ट कैंसर केवल एक शारीरिक बीमारी नहीं है, बल्कि यह मानसिक और भावनात्मक रूप से भी महिला को प्रभावित करता है। इसलिए, इसका इलाज न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक तौर पर भी किया जाना चाहिए। यह बेहद महत्वपूर्ण है कि मरीजों को मानसिक समर्थन दिया जाए, ताकि वे इस जंग को जीत सकें और एक बेहतर जीवन जी सकें।