Indian Penal Code escape: जेल से भागने पर क्या होती है सजा? जानिए भारतीय न्याय संहिता का कानून
Indian Penal Code escape: अगर कोई कैदी जेल से भाग जाए या भागने की कोशिश करे तो उसे भारतीय न्याय संहिता की धारा 226 के तहत सजा दी जाती है। जानिए कानून क्या कहता है, कितनी सजा हो सकती है और किन मामलों में जमानत नामुमकिन होती है।

Indian Penal Code escape: कानून के अनुसार, जेल से भागना या भागने की कोशिश करना “दोगुना अपराध” माना जाता है। पहला अपराध वह होता है जिसके कारण व्यक्ति को जेल भेजा गया, और दूसरा अपराध जेल से भागने का होता है। इस कारण ऐसे कैदी की सजा और भी बढ़ जाती है और उसके खिलाफ कानूनी प्रक्रिया सख्त हो जाती है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 226 क्या कहती है
भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita - BNS) की धारा 226 में यह स्पष्ट कहा गया है कि यदि कोई कैदी जेल से भाग जाता है या भागने की कोशिश करता है, तो उसे दो साल तक की अतिरिक्त कैद, जुर्माना, या दोनों की सजा दी जा सकती है। यह सजा उस मूल सजा से अलग होती है जिसके लिए व्यक्ति पहले से जेल में था।अर्थात, भागने की अवधि को उसकी पिछली सजा में नहीं जोड़ा जाता, बल्कि यह एक नई सजा के रूप में गिनी जाती है।
पहले का कानून: IPC की पुरानी धाराएं
धारा 226 से पहले यह अपराध भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत आता था। इसमें तीन मुख्य धाराएं थीं —
धारा 224 के तहत, अगर कोई व्यक्ति कानूनी हिरासत से भागता है तो उसे दंडित किया जा सकता था।
धारा 225 में उस व्यक्ति को सजा दी जाती थी जो किसी कैदी को भागने में मदद करता था।
धारा 222 में उन अधिकारियों पर कार्रवाई का प्रावधान था जो किसी कैदी को जानबूझकर भागने देते थे।
अब इन सभी प्रावधानों को भारतीय न्याय संहिता (BNS) में मिलाकर एक स्पष्ट और सख्त कानून बनाया गया है।
कैदी की अतिरिक्त सजा कैसे तय होती है
अगर कोई कैदी जेल से भाग जाता है और बाद में दोबारा गिरफ्तार होता है, तो उसे पहले अपनी पुरानी सजा पूरी करनी होती है। उसके बाद ही जेल से भागने के अपराध की सजा शुरू होती है।भागने की अवधि को उसकी जेल की सजा में शामिल नहीं किया जाता।कई बार ऐसे कैदियों को सुरक्षा कारणों से दूसरी जेल में भेज दिया जाता है।यदि भागते समय कैदी ने हिंसा, चोरी या किसी अधिकारी पर हमला किया हो, तो उसके खिलाफ अलग-अलग धाराओं में मुकदमे दर्ज किए जाते हैं।
क्या जेल से भागने वाले को जमानत मिल सकती है
कानून के अनुसार, जेल से भागने या भागने की कोशिश करने वाले व्यक्ति को जमानत मिलना बहुत कठिन होता है। अदालत यह मानती है कि ऐसा व्यक्ति दोबारा भाग सकता है या न्यायिक प्रक्रिया से बचने की कोशिश करेगा। इसलिए ऐसे मामलों में अदालत सख्त रुख अपनाती है और आम तौर पर जमानत नहीं दी जाती।
अगर जेल कर्मचारी कैदी को भगाए तो क्या सजा होगी
भारतीय न्याय संहिता की धारा 156 के तहत यदि कोई जेलर, पुलिसकर्मी या सरकारी अधिकारी किसी कैदी को भागने में मदद करता है या जानबूझकर उसे भागने देता है, तो उसे आजीवन कारावास, या 10 साल तक की कैद और जुर्माने की सजा दी जा सकती है।यह प्रावधान सरकारी कर्मचारियों की जवाबदेही तय करता है ताकि कानून व्यवस्था कमजोर न पड़े।
जेल से भागने के सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव
जेल से किसी कैदी के भागने की घटना केवल कानून तोड़ना नहीं होती, बल्कि यह पूरे प्रशासनिक तंत्र की विफलता भी मानी जाती है। ऐसे मामलों में जांच की जाती है कि कैदी कैसे भागा, क्या किसी अधिकारी की लापरवाही हुई, या अंदर से किसी ने मदद की। यदि जांच में दोष अधिकारियों का निकलता है, तो उन पर भी अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्रवाई की जाती है।