नवजात शिशुओं के लिए स्तनपान सबसे जरूरी और स्वस्थ आहार होता है, लेकिन यह सवाल अक्सर उठता है कि बच्चों को कितनी बार दूध पिलाना चाहिए, खासकर जब वे सिर्फ 1 से 2 महीने के हों। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक इंस्टाग्राम पोस्ट में यह दावा किया गया कि एक से दो महीने के बच्चों को हर दो घंटे में दूध पिलाना चाहिए। लेकिन क्या यह सच है?
क्या कहता है दावा?
इस इंस्टाग्राम पोस्ट में बताया गया कि एक से दो महीने के बच्चे को हर दो घंटे में दूध पिलाना चाहिए और दोनों ब्रेस्ट से दूध पिलाना चाहिए, ताकि दूध की आपूर्ति बढ़ सके। पोस्ट में यह भी कहा गया कि बच्चे को 15 मिनट हर ब्रेस्ट पर दूध पिलाना चाहिए, ताकि दूध की पूरी मात्रा मिल सके।
डॉक्टर से जानें सच्चाई
इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हमनें दिल्ली के सीके बिरला हॉस्पिटल की नियोनाटोलॉजी एंड गायनेकोलॉजी की डायरेक्टर, डॉ. पूनम सिदाना से बात की। उन्होंने बताया कि यह दावा सही है, लेकिन हर बच्चे की स्थिति अलग होती है। सामान्य तौर पर, पहले कुछ हफ्तों में बच्चे को हर दो घंटे में दूध पिलाना जरूरी होता है। इसका मतलब यह नहीं कि हर बच्चे को हर समय दो घंटे के अंतराल पर दूध पिलाना ही चाहिए।
ऑन-डिमांड फीडिंग और शेड्यूल फीडिंग
बच्चे को दूध पिलाने के दो तरीके होते हैं—ऑन-डिमांड फीडिंग और शेड्यूल फीडिंग। ऑन-डिमांड फीडिंग में, माता-पिता बच्चे के भूख के संकेतों (जैसे अंगूठा चूसना या रोना) को ध्यान में रखते हुए उन्हें दूध पिलाते हैं। इससे फीडिंग का समय अलग-अलग हो सकता है, जो 5 से 7 मिनट से लेकर 40-50 मिनट तक हो सकता है। वहीं, शेड्यूल फीडिंग में माता-पिता बच्चे को निर्धारित समय पर दूध पिलाते हैं।
डॉक्टर की सलाह
डॉ. पूनम सिदाना के अनुसार, यदि बच्चे के पास पर्याप्त दूध मिल रहा है तो उसे अच्छी नींद आती है, वह 6-8 डायपर गीला करता है और उसका वजन बढ़ रहा है, तो यह संकेत हैं कि बच्चे को पर्याप्त आहार मिल रहा है। पहले कुछ दिनों में, दोनों ब्रेस्ट से बार-बार दूध पिलाना चाहिए, क्योंकि इससे दूध की आपूर्ति बढ़ती है।
क्या निकला निष्कर्ष?
फैक्ट चेक में यह साबित हुआ कि दो महीने के बच्चे को हर दो घंटे में दूध पिलाना जरूरी है, लेकिन यह बच्चे की डिमांड और माता-पिता की पसंद पर निर्भर करता है। डॉ. सिदाना की सलाह है कि माता-पिता को बच्चे के भूख के संकेतों पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें सही समय पर दूध पिलाना चाहिए।
निष्कर्ष:
नवजात शिशु की जरूरतों को समझना बहुत जरूरी है। यदि माता-पिता बच्चे की भूख के संकेतों पर ध्यान देते हैं और सही समय पर दूध पिलाते हैं, तो बच्चे को जरूरी पोषण मिल सकता है।