झूलेलाल जयंती, जिसे चेटी चण्ड भी कहा जाता है, सिंधी समुदाय का एक प्रमुख पर्व है। यह पर्व हर साल चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जो सिंधी नववर्ष के प्रारंभ का दिन भी होता है। इस दिन भगवान झूलेलाल की पूजा की जाती है, जो जल के देवता माने जाते हैं। यह पर्व विशेष रूप से सिंधी समाज के लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। 2025 में झूलेलाल जयंती 30 मार्च को मनाई जाएगी। झूलेलाल जयंती का संबंध भगवान झूलेलाल के जन्म से है। भगवान झूलेलाल को जल के देवता माना जाता है और उनकी पूजा जल के रूप में की जाती है। मान्यता है कि भगवान झूलेलाल ने सिंधी समाज को संप्रदायिक एकता और समृद्धि का संदेश दिया। उनके अनुयायी उन्हें जल देवता के रूप में पूजते हैं, और इस दिन उनकी पूजा विशेष रूप से की जाती है ताकि जीवन में सुख और समृद्धि का वास हो। झूलेलाल जयंती को मनाने के लिए सिंधी समुदाय के लोग खास पूजा की विधि अपनाते हैं। इस दिन वे लकड़ी का मंदिर बनाते हैं और उसमें एक लोटे से जल भरकर उसे ज्योति से प्रज्वलित करते हैं। इस मंदिर को श्रद्धालु सिर पर उठाकर घुमते हैं, इसे बहिराणा साहब भी कहा जाता है। यह पूजा जीवन के जल के रूप में भगवान झूलेलाल की आराधना करने का एक तरीका है। चेटी चण्ड का त्योहार चंद्र दर्शन के साथ जुड़ा हुआ है, जब अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा दिखाई देता है। इसे चेटी चण्ड कहा जाता है, जो सिंधी नववर्ष का प्रतीक होता है। झूलेलाल जयंती के दिन विशेष रूप से उन यात्राओं और व्यापारियों का सम्मान किया जाता है जो जलमार्ग से यात्रा करते हैं। प्राचीन काल में सिंधी व्यापारी जलमार्ग से व्यापार करते थे, और इस दौरान भगवान झूलेलाल से अपनी यात्रा के सफल होने की प्रार्थना करते थे। यात्रा पूरी होने पर भगवान का आभार व्यक्त किया जाता था, और यह परंपरा आज भी चेटी चण्ड के रूप में जीवित है। झूलेलाल जयंती का पर्व एकता और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन लोग एकजुट होकर अपने परिवार और समाज के कल्याण की कामना करते हैं। इस पर्व को धूमधाम से मनाने के साथ-साथ, लोग पानी के देवता के रूप में भगवान झूलेलाल से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, ताकि उनके जीवन में हर क्षेत्र में समृद्धि और सफलता आए। इसके साथ ही, व्यापार में आ रही परेशानियों को दूर करने की कामना भी की जाती है। झूलेलाल जयंती एक ऐसा पर्व है जो सिंधी समाज के लिए विशेष महत्व रखता है। यह न केवल भगवान झूलेलाल की पूजा का अवसर है, बल्कि एकता, समृद्धि और जल के महत्व को भी प्रदर्शित करता है। इस दिन की पूजा विधि, जो जल और ज्योति की पूजा पर आधारित है, जीवन में सुख और समृद्धि की कामना करती है। इस दिन को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाकर, लोग भगवान झूलेलाल से अपने जीवन को खुशहाल बनाने की प्रार्थना करते हैं।झूलेलाल जयंती का महत्व और धार्मिक मान्यता
झूलेलाल जयंती मनाने की विधि
जल देवता के रूप में भगवान झूलेलाल की पूजा
झूलेलाल जयंती के अन्य पहलू
निष्कर्ष