पाकिस्तान और चीन के बीच एक नया व्यापारिक समझौता हुआ है, जिसमें पाकिस्तान बड़े पैमाने पर चीन को गधों की खाल और मांस का निर्यात करेगा। यह समझौता साल के अंत तक पूरा होने की संभावना है, जिसमें 216,000 गधों की खाल और मांस की वार्षिक आपूर्ति की जाएगी। पाकिस्तान के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा रिसर्च मंत्रालय के अधिकारियों ने इस डील की पुष्टि की है।
चीन में गधों की खाल और मांस की बढ़ती मांग
चीन में गधों की खाल का इस्तेमाल पारंपरिक दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है, जिसे "एजियाओ" कहा जाता है। यह दवाई चीन में काफी लोकप्रिय है और इसका उपयोग विभिन्न स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जाता है। इसके साथ ही, गधे का मांस भी चीन के कुछ प्रांतों में खास तौर पर हेबेई में लोकप्रिय व्यंजन है। यहां तक कि बर्गर में भी इसका उपयोग किया जाता है। पाकिस्तान के वाणिज्य सचिव ने जुलाई में एक बैठक के दौरान कहा था कि गधों के निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इसी के चलते, पाकिस्तान ने गधों की खाल के निर्यात के लिए चीन के साथ समझौते को अंतिम रूप दिया। हालांकि, मांस के निर्यात पर अभी विचार किया जा रहा है। कराची के बंदरगाह में बूचड़खाने स्थापित करने की योजना पर भी चर्चा हो रही है, लेकिन स्थानीय खाद्य सुरक्षा और बाजार प्रभावित न हो, इसके लिए शहर के अंदर बूचड़खानों को मंजूरी देने पर पाकिस्तान सतर्कता बरत रहा है।
पाकिस्तान में गधों की बढ़ती संख्या और प्रजनन सुविधा
पाकिस्तान में फिलहाल करीब 52 लाख गधे हैं और कराची जैसे शहरों में आज भी गधागाड़ी का उपयोग आम है। छोटे शहर और ग्रामीण इलाके इन पर विशेष रूप से निर्भर हैं, इसलिए लोगों के बीच इस व्यापार से गधों की आबादी घटने की चिंता बढ़ गई है। इसे देखते हुए, पाकिस्तान में गधों की प्रजनन फैसिलिटी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि उनकी संख्या स्थिर रहे और मांग पूरी की जा सके। चीन के साथ इस व्यापारिक समझौते को सुविधाजनक बनाने के लिए पाकिस्तान के ग्वादर में नए बूचड़खाने बनाए जा रहे हैं। इससे स्थानीय बाजारों पर दबाव नहीं पड़ेगा और निर्यात के लिए सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होंगी