Supreme Court of india: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की सिफारिश की है। न्यायमूर्ति खन्ना 10 नवंबर को CJI चंद्रचूड़ के रिटारमेंट के बाद 11 नवंबर से भारत के नए मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे। उनके कार्यकाल की अवधि 13 मई 2025 तक रहेगी।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का प्रोफ़ाइल
जज संजीव खन्ना का करियर भारतीय न्यायिक व्यवस्था में अहम योगदानों से भरा है। 1983 में उन्होंने दिल्ली बार काउंसिल में दाखिला लेकर अपने कानूनी करियर की शुरुआत की। दिल्ली उच्च न्यायालय में 2005 में अतिरिक्त न्यायाधीश और 2006 में स्थायी न्यायाधीश के रूप में उनका नियुक्त होना उनके करियर की महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से है।
उनका सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति से पहले किसी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य न करना अद्वितीय है। उन्होंने कई अहम संवैधानिक और कानूनी मामलों में निर्णय दिए, जिनमें "अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण", "चुनावी बांड योजना", और "आरटीआई से जुड़ा फैसला" शामिल है।
न्यायमूर्ति खन्ना के प्रमुख फैसले
अनुच्छेद 370 निरस्तीकरण - जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने वाले फैसले में न्यायमूर्ति खन्ना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चुनावी बांड - चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया, जिसमें गुमनाम दान को सूचना के अधिकार का उल्लंघन बताया।
आरटीआई निर्णय - मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत शामिल करते हुए, उन्होंने पारदर्शिता और न्यायिक गोपनीयता के बीच संतुलन की वकालत की।
विवाह का अपरिवर्तनीय टूटना - सुप्रीम कोर्ट को विवाह के अपरिवर्तनीय टूटने के आधार पर तलाक देने का अधिकार देने वाले फैसले में उन्होंने "पूर्ण न्याय" को बढ़ावा दिया।
न्यायमूर्ति खन्ना के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यकाल की प्रतीक्षा है, जिसमें न्यायपालिका से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनके नेतृत्व की अहम भूमिका रहेगी।